श्रीलंका: 2 मुस्लिम गवर्नर पर आरोप, हमले में आतंकियों का किया समर्थन, विरोध के बाद दिया इस्तीफा
चार दिन पहले बौद्ध भिक्षुक अथुरालिये रथाना इन गर्वनरों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गये थे.
कोलंबो: श्रीलंका में सोमवार को दो मुसलमान गर्वनरों ने हजारों लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. इन प्रदर्शनकारियों में अच्छी खासी तादाद बौद्ध समुदाय के भिक्षुओं की थी. ये लोग पवित्र शहर कैंडी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और वे ईस्टर आत्मघाती बम हमले के जिम्मेदार इस्लामिक आतंकवादियों के उनके कथित समर्थन को लेकर उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी प्रांत के गर्वनर अजथ सल्ली और पूर्वी प्रांत के गवर्नर एमएएलएम हिसबुल्ला ने अपने त्यागपत्र राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को सौंप दिये.
सल्ली और हिसबुल्ला, दोनों इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं. चार दिन पहले बौद्ध भिक्षुक अथुरालिये रथाना इन गर्वनरों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गये थे. रथाना सिरिसेना की पार्टी से सांसद भी हैं.
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आपातकाल एक महीने और बढ़ाया
श्रीलंका में ईस्टर रविवार पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद देश में लागू किये गये आपातकाल को बुधवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने एक और महीने के लिये बढ़ा दिया. इन बम धमाकों में करीब 260 लोगों की जान चली गई थी. राष्ट्रपति ने "जन सुरक्षा" का हवाला देते हुए एक विशेष राजपत्र अधिसूचना के जरिये आपातकाल को एक महीना और बढ़ाया. आपातकालीन कानून पुलिस और सैन्य ताकतों को अदालत के आदेशों के बिना संदिग्धों को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने और पूछताछ करने की अनुमति देता है.
देश में 21 अप्रैल को तीन गिरिजाघरों और कई आलीशान होटलों को निशाना बनाने वाले नौ आत्मघाती हमलावरों के सफाये के लिए श्रीलंका में 23 अप्रैल को आपातकाल लागू किया गया था. इन हमलों में 258 लोगों की जान चली गई थी और 500 अन्य लोग घायल हुए थे. इसके बाद 23 अप्रैल को देश में आपातकाल लगाया गया था.
इस्लामिक स्टेट समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. लेकिन सरकार ने स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसके बाद चलाए विभिन्न अभियानों के तहत पुलिस अभी तक 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
इनपुट भाषा से भी