Russia Ukraine War: रूस के राष्ट्रपति ने बड़ा फैसला करते हुए परमाणु हथियार से जुड़े एक बड़े नियम में बदलाव कर दिया है. अब रूस ने फैसला किया है कि अगर कोई देश किसी परमाणु शक्ति वाले देश के साथ मिलकर रूस पर हमला करता है तो फिर रूस भी पीछे नहीं हटेगा. ऐसी हालत में रूस भी न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल किया जा सकता है. रूस ने यह फैसला यूक्रेन पर हमले के 1,000वें दिन लिया है और वो यूक्रेन की मदद कर रहे अमेरिका जैसे देशों को बड़ा संदेश देना चाहता है. पुतिन के इस फैसले से साफ समझ आ रहा है कि वो ना सिर्फ अमेरिका बल्कि पश्चिम के अन्य देशों को भई पीछे हटने के लिए मजबूर कर हे हैं.


रूस ने क्यों लिया बड़ा फैसला?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कहा जा रहा है कि रूस ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को रूस में बड़ा हमला करने के लिए अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों (ATACMS ) का इस्तेमाल करने की इजाज़त दी थी. यह मिसाइल सिस्टम 300 किमी तक सटीक हमला कर सकता है. यूक्रेन के इस मिसाइल के इस्तेमल की मंजूरी देने के संबंध में अमेरिका और ब्रिटेन लंबे संय समय से गौर कर रहे थे. हालांकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने हुए कहा था कि ऐसे हथियारों के इस्तेमाल करने की इजाजत देने का मतलब यह समझा जाएगा कि NATO अब रूस के खिलाफ जंग में उतर चुका है.


'काम नहीं आएगी पश्चिमी देशों की मदद'


इससे पहले रूस ने मंगलवार को यूक्रेन को हराने की कसम खाते हुए कहा कि कीव के लिए पश्चिमी समर्थन का इस जंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उसके मिलने वाली पश्चिमी मदद 'हमारे ऑपरेशन के नतीजों को प्रभावित नहीं कर सकती है. यह जारी है और पूरा होगा' क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा,'कीव के खिलाफ सैन्य अभियान जारी है.' पेस्कोव ने कहा कि रूस ने हमेशा परमाणु हथियारों को निवारण के साधन के रूप में देखा है और उनका इस्तेमाल सिर्फ तभी किया जाएगा जब रूस को ऐसा करने के लिए मजबूर महसूस होगा.


क्या है नाटो की प्रतिक्रिया?


नाटो प्रमुख ने कहा है कि पुतिन को यूक्रेन में अपनी मर्जी नहीं चलानी चाहिए. हालांकि एक महीने पहले ही उन्होंने कहा था कि उन्हें रूस से परमाणु हथियारों का कोई खतरा नहीं दिखता है भले ही वो लापरवाह और गैरजिम्मेदार हो.


दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे खतरनाक संघर्ष:


ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी फोर्सेज ने रूसी क्षेत्र के अंदर एक सरहदी इलाके में ATACMS मिसाइल के साथ अपना पहला हमला किया, यूक्रेन ने देश की सेना के एक अधिकारी का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे खतरनाक जंग है, जिसको आज एक हजार से ज्यादा दिन हो चुके हैं. जंग की शुरुआत से अब तक दस लाख से ज़्यादा लोग मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं. 21वीं सदी की सबसे खतरनाक जंग की भयावह हकीकत के बीच यूक्रेन के शहर, कस्बे और गांव तबाह हो गए हैं और अब खंडहर में तब्दील हो गए हैं. रूस और यूक्रेन दोनों की आबादी कम होती जा रही है और जंग से पहले से ही दोनों संघर्ष कर रहे हैं. जंग की वजह से होने वाली मौतों की चौंका देने वाली संख्या का दोनों देशों के लिए दूरगामी जनसांख्यिकीय प्रभाव होना भी लाजमी है.