अमेरिका में लगी राहुल गांधी की पाठशाला, टारगेट और जंग को लेकर LOP ने दिया `गुरु मंत्र`
Rahul Gandhi News: राहुल गांधी ने टेक्सास यूनिवर्सिटी में दुनिया के कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की. छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए गुरु मंत्र दिया है.
Rahul Gandhi US Visit: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी गांधी अमेरिका की चार दिवसीय अनौपचारिक यात्रा पर हैं. आज उनका कार्यक्रम राजधानी वाशिंगटन डीसी में हैं. जहां वो अमेरिकी थिंक टैंक, अमेरिकी मीडिया और अन्य लोगों के साथ चर्चा करेंगे. इससे पहले अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों से चर्चा करते राहुल गांधी ने कहा, 'हर किसी को अपना टारगेट ध्यान से चुनना चाहिए और अपनी लड़ाई सावधानी से लड़नी चाहिए. आगे बढ़ने के लिए आपको हर चुनौती का सामना करने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.'
युवाओं को राहुल का 'गुरु मंत्र'
छात्रों को गुरुमंत्र देते हुए राहुल गांधी ने कुछ अपनी मिसाल भी दी. उन्होंने कहा, 'आप अपने लक्ष्य से न भटकें. आप हर मुद्दे को न उठाएं बल्कि बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने पर फोकस करें. तभी आप अपने लक्ष्य में कामयाब होंगे.'
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए लीडर ऑफ अपोजिशन ने कहा, 'अपने अब तक के अनुभव के आधार पर मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि बोलने की तुलना में सुनना अधिक महत्वपूर्ण है. सुनने का मतलब है खुद को अपनी स्थिति में रखना यदि कोई किसान मुझसे बात करता है तो मैं उनके दैनिक जीवन में खुद को शामिल करने की कोशिश करूंगा और ये समझूंगा कि वे मुझसे क्या कहना चाह रहे हैं. ये एक मौलिक सोच और व्यवहार है. इसमें भटकने से बचना है. मेरी आपको सलाह है कि हर मुद्दे पर मुखर नहीं होना है. हर विषय पर आप बराबर एनर्जी से काम नहीं कर सकते. इसलिए अपने लक्ष्य का चुनाव सही होना चाहिए, क्योंकि वो लड़ाई आपकी है, ऐसे में सेलेक्टेड मुद्दों को उठाकर पूरी ताकत से लड़ाई लड़नी चाहिए. इसलिए मैं दोहराता हूं कि हर किसी को अपना टारगेट चुनने में सावधानी बरतनी चाहिए.'
भारत में क्या होना चाहिए?
अपने जीवन के अनुभवों को बांटते हुए राहुल गांधी ने कहा आज भारत का विपक्ष मूल रूप से आम लोगों यानी अवाम की आवाज़ है. देश की वर्तमान स्थिति को लेकर राहुल गांधी ने कहा, 'भारत में उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है. क्योंकि ग्लोबल प्रोडक्शन में चीन का वर्चस्व है. इसलिए वहां किसी को लंबे समय तक बेरोजगारी का सामना नहीं करना पड़ता. जबकि भारत और अमेरिका समेत पश्चिमी देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. अगर भारत, उत्पादन के लिए खुद को तैयार करे तो चीन को टक्कर दे सकता है.'
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