G7 Italy Summit: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की गुरुवार को इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. जी7 समूह के सदस्य देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि जब्त की गई रूसी संपत्तियों से प्राप्त 50 अरब अमेरीकी डॉलर की सहायता राशि यूक्रेन को किस तरह प्रदान की जाए. इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जी7 समूह, 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने के बाद रूस के बाहर जब्त की गई उसकी 260 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की संपत्तियों को लेकर चर्चा कर रहा है. विचार-विमर्श इस बात पर हो रहे हैं कि संपत्तियों का इस्तेमाल कीव की मदद के लिए करने के तरीकों पर चर्चा कर रहा है.


दोनों लोगों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि यूरोपीय अधिकारियों ने कानूनी और वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए संपत्तियों को जब्त करने का विरोध किया.  हालांकि इस योजना के जरिए यूक्रेन के युद्ध प्रयासों में मदद करने के लिए संपत्तियों पर अर्जित ब्याज का इस्तेमाल किया जाएगा.


समौझौते की औपचारिक घोषणा नहीं लेकिन...
रूस की जब्त अधिकांश संपत्तियां यूरोप में स्थित हैं. इस समझौते की फिलहाल औपचारिक रूप से घोषणा नहीं की गयी है.फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने बुधवार को इस तरह की घोषणा होने की पुष्टि जरूर की थी.


जी7 शिखर सम्मेलन में हावी रहेगा यूक्रेन युद्ध का मुद्दा
समझौते की घोषणा ऐसे समय में हो रही है, जब बाइडेन जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं.


जी7 बैठक में कुछ बड़े फैसलों पर जल्द ही मुहर लग सकती है, जिसमें रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन की मदद करना शामिल है और इस जंग में जब्त की गयी रूसी संपत्तियों से प्राप्त होने वाले अरबों डॉलर का प्रयोग करने पर विचार हो सकता है.


अमेरिका ने बताया क्यों कर रहा है ये समझौता
बाइडेन के यूरोप की यात्रा पर रवाना होने से पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि सुरक्षा समझौते का उद्देश्य रूस को यह दिखाना है कि अमेरिका कीव का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है.


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि सुरक्षा समझौते का मतलब यह नहीं है कि अमेरिकी सैनिकों को रूस के आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन में सीधे तौर पर तैनात कर दिया जाएगा बल्कि मॉस्को को सिर्फ अमेरिका का दृढ़संकल्प दिखाना है. बाइडेन ऐसा करने से इसलिए भी हिचकिचा रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि यह फैसला परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच सीधे संघर्ष में तब्दील हो सकता है.


सुलिवन ने कहा, ‘हम सिर्फ यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका, यूक्रेन के लोगों का समर्थन करता है, हम उनके साथ खड़े हैं और उनकी सुरक्षा जरूरतों को हल करने में उनकी मदद करना जारी रखेंगे.’


(इनपुट एजेंसी)