सलमान रुशदी खुद पर हुए चाकू हमले को लेकर लिखेंगे किताब, कहा- ‘इस पर लिखना आसान नहीं’
Salman Rushdie New Book: चाकू से हुए हमले के बाद रुश्दी ने छह सप्ताह अस्पताल में बिताए. इस हमले की वजह से उनकी एक आंख से दिखना बंद हो गया था.
Salman Rushdie News: बुकर पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रुश्दी ने न्यूयॉर्क में एक प्रदर्शन के दौरान मंच पर छुरा घोंपा जाने के बारे में एक किताब लिखने की अपनी योजना का खुलासा किया है. इस हमले की वजह से उनकी एक आंख से दिखना बंद हो गया था. हेय लिटरेरी फेस्टिवल में बोलते हुए, प्रसिद्ध लेखक ने इस दुखद घटना से परे जाने और इसके व्यापक निहितार्थ और महत्व का पता लगाने के अपने इरादे व्यक्त किए.
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक इस तरह के उपन्यास को लिखने की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, रुश्दी ने अपने साहित्यिक प्रयासों के साथ आगे बढ़ने के लिए इसकी जरुरत पर प्रकाश डाला. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पहले इसे संबोधित किए बिना हमले से असंबंधित कोई पुस्तक लिखना शुरू नहीं कर सकते.
रुश्दी कहा, ‘मैं मुझ पर हमले के बारे में एक किताब लिखने की कोशिश कर रहा हूं - क्या हुआ और इसका क्या मतलब है, न केवल हमले के बारे में, बल्कि इसके चारों ओर.’
‘यह छोटी किताब होगी’
प्रख्यात लेखक ने आगे कहा कि यह एक अपेक्षाकृत छोटी पुस्तक होगी जिसमें केवल दो सौ पृष्ठ होंगे. उनके मुताबिक, ‘यह लिखने के लिए दुनिया की सबसे आसान किताब नहीं है, लेकिन कुछ और करने के लिए मुझे इससे आगे निकलने की जरूरत है. मैं वास्तव में एक उपन्यास लिखना शुरू नहीं कर सकता जिसका इससे कोई लेना-देना नहीं है ... इसलिए मुझे बस इससे निपटना है.’
चाकू से हुए हमले के बाद रुश्दी ने छह सप्ताह अस्पताल में बिताए. नजर के नुकसान के अलावा, उनके हाथ में लगी चोटों की वजह से वह कुछ उंगलियों को महसूस नहीं कर पा रहे थे, जिससे टाइपिंग मुश्किल हो गई. कथित हमलावर हादी मातर पर हमले के संबंध में हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया है.
रुश्दी का तकलीफदेह इतिहास
इस दुखद घटना ने रुश्दी को उनके अराजक अतीत की याद दिला दी जब वह लगभग 10 वर्षों तक छिपने के लिए मजबूर हुए और उसके बाद दो दशकों तक चौबीसों घंटे सुरक्षा के साथ रहे थे. उनकी पुस्तक ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के 1988 में प्रकाशित होने के बाद एक फतवा जारी किया गया था.
पुस्तक के इस्लाम विरोधी होने के दावों के कारण व्यापक विरोध और आक्रोश फैल गया. रुश्दी को जान से मारने की धमकियों का सामना करना पड़ा और तत्कालीन ईरानी नेता अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी ने उनके सिर पर $3 मिलियन का इनाम रखते हुए उनकी हत्या का आह्वान किया था.