रियाद: सऊदी अरब के वायु रक्षा बलों ने सोमवार (26 मार्च) को यमन के हौती विद्रोहियों द्वारा दागी गई सात बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट कर दिया. एफे न्यूज के मुताबिक, सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब गठबंधन के प्रवक्ता तुर्की अल-मल्की ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि तीन मिसाइलें रियाद, एक असीर प्रांत के खामीस मुशैत और एक अन्य नजरान व दो जिजान की ओर निशाना बनाकर दागी गई थीं. अल-मल्की के अनुसार, मिसाइलों को रोकने के परिणामस्वरूप इसके विस्फोटक टुकड़े आसपास के आवासीय क्षेत्रों पर गिर गए जिससे मिस्र के एक नागरिक की मौत हो गई.


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इससे संपत्ति को नुकसान की भी खबर मिली है, लेकिन प्रवक्ता ने इस पर अधिक जानकारी नहीं दी. अल-मल्की ने बताया कि मिसाइल हमले का उद्देश्य सऊदी अरब और क्षेत्र की सुरक्षा को प्रभावित करना था. उन्होंने कहा, "ईरान द्वारा समर्थित हौती समूह के इस आक्रामक और बिना सोचे समझे उठाए गए कदम से साबित होता है कि ईरानी सरकार सशस्त्र हौती समूह को समर्थन कर रही है."


ब्रिटेन ने ईरान से कहा, यमन विद्रोहियों को हथियार न दें


वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन ने ईरान से अनुरोध किया कि वह यमन में हथियारों की आपूर्ति को बंद करे और अपने प्रभाव का इस्तेमाल संघर्ष को खत्म करने के लिए करे. सऊदी अरब यमन सरकार की हिमायत में और ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमलों की अगुवाई कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने पाया है कि ईरान हुती विद्रोहियों को मिसाइल और ड्रोन की आपूर्ति रोकने में विफल रहा है. एक संयुक्त बयान में ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन और अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री पेनी मोरडउंट ने ईरान से अपने रुख में बदलाव करने का आग्रह किया है.


बयान में उन्होंने कहा कि अगर ईरान वास्तव में यमन में राजनीतिक समाधान चाहता है जैसा उसने सार्वजनिक तौर पर कहा है, तो उसे हथियारों की आपूर्ति रोकनी चाहिए जो संघर्ष को लंबा खींच रही है, क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा रही है और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही है. इसमें कहा गया है कि हम सवाल करना चाहते हैं कि ईरान ऐसे देश को क्यों धन भेज रहा है जिसके साथ उसके वास्तविक ऐतिहासिक संबंध या हित नहीं है बल्कि इसे अपने प्रभाव का इस्तेमाल संघर्ष को खत्म करने के लिए करना चाहिए जो यमन के लोगों के लिए अच्छा है.


(इनपुट एजेंसी से भी)