Sheikh Hasina Extradition: बांग्लादेश की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई है. इसके बाद बांग्लादेश ने एक भारत को लेटर लिखा है. जिसके बाद शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद का रिएक्शन सामने आया है. सजीब वाजेद ने मोहम्मद यूनुस पर अंतरिम सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है. वह बोले कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में शेख हसीना के खिलाफ दिखावटी मुकदमे चलाए जा रहे हैं. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद का ये रिएक्शन मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) को आया. बीते रोज सोमवार (23 दिसंबर, 2024) को बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक लेटर भेजा गया था. बांग्लादेश की सरकार देश में स्थिति को ठीक करने के बजाय आग में घी डालने का काम कर रही है.


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बेटे ने क्या लगाया आरोप
बांग्लादेश से जान बचाकर भागने वाली और तख्तापलट के  अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे संजीब वाजिद ने मोहम्मद यूनुस नीत अंतरिम सरकार पर अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए न्यायपालिका का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. वाजिद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक लंबी पोस्ट में अपने आरोप लगाए हैं. इससे दो दिन पहले सोमवार को अंतरिम सरकार ने कहा था कि उसने नयी दिल्ली को राजनयिक पत्र भेजकर हसीना को भारत प्रत्यर्पित करने की मांग की है. हसीना (77) पांच अगस्त से भारत में हैं. वह अपने देश में छात्रों के एक बड़े आंदोलन के चलते अपनी अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत पहुंची थीं.


बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ वारंट
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने ‘‘मानवता और नरसंहार के खिलाफ अपराधों’’ के लिए हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों तथा सैन्य एवं असैन्य अधिकारियों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. वाजिद ने मंगलवार को अपनी पोस्ट में कहा, ‘‘अनिर्वाचित यूनुस नीत सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों और अभियोजकों ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के माध्यम से हास्यास्पद सुनवाई प्रक्रिया का संचालन किया, जो इसे एक राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बनाता है जिसमें इंसाफ को छोड़ दिया गया और अवामी लीग नेतृत्व को सताने के लिए एक और हमला किया गया.’’


शेख हसीना के बेटे कहां रहते हैं?
आईटी पेशे से जुड़े वाजिद अमेरिका में रहते हैं और हसीना की सरकार में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सलाहकार रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कंगारू न्यायाधिकरण और उसके बाद प्रत्यर्पण का अनुरोध ऐसे समय में किया गया है, जब सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं की लगातार हत्या की जा रही है, उन पर हत्या के संगीन आरोप लगाए जा रहे हैं, कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा हजारों लोगों को अवैध रूप से कैद किया जा रहा है और शासन की अनदेखी के कारण हर रोज लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी सहित हिंसक हमले हो रहे हैं.’’


जानें लेटर में क्या लिखा था? जानें क्या कहता है नियम?
भारत ने सोमवार को नयी दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त से एक राजनयिक पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की थी लेकिन इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के अनुसार अगर अपराध राजनीतिक स्वरूप का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. वहीं बांग्लादेश के अघोषित विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने कहा कि ढाका चाहता है कि हसीना वापस आएं और न्यायिक प्रक्रिया का सामना करें. अगर भारत शेख हसीना को बांग्लादेश को नहीं सौंपता है तो दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास भी आ सकती है. अब भारत के विवेक पर है कि वह शेख हसीना को बांग्लादेश भेजता है या नहीं.


उधर शेख हसीना के बेटे वाजिद ने आरोप लगाया कि युद्ध अपराधियों का बचाव करने के प्रमाणित रिकॉर्ड के बावजूद यूनुस शासन द्वारा आईसीटी न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक नियुक्त ताजुल इस्लाम ने हसीना के खिलाफ “जानबूझकर गलत सूचना अभियान चलाया” और दावा किया कि इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है. वाजिद ने इसे “यूनुस के हितों की पूर्ति के लिए हसीना को प्रत्यर्पित करने तथा हास्यास्पद मुकदमा चलाने की एक हताशापूर्ण कोशिश” करार दिया. इनपुट भाषा से भी