नई दिल्ली: मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में इंसान को आगाह करने वाली भविष्यवाणी की है. यह रिपोर्ट बेस्टसेलिंग किताब 'द लिमिट्स टू एक्सपेंशन' (1972) में प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया था, 'यदि व्यवसाय और सरकारें किसी भी कीमत पर निरंतर आर्थिक विकास का पीछा करती रहीं तो 21वीं सदी में औद्योगिक सभ्यता (Industrial Civilisation) बर्बाद हो जाएगी.'


MIT वैज्ञानिकों की चेतावनी


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1970 के दशक की एक रिसर्च की हालिया समीक्षा के अनुसार, अगर वैश्विक उद्देश्यों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है तो मानव समाज अगले दो दशकों में 'ढहने' की कगार पर है. दुनिया की सबसे बड़ी एकाउंटिंग कंपनियों में से एक के निदेशक द्वारा एक आश्चर्यजनक नए विश्लेषण ने निष्कर्ष निकाला है कि मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी (MIT) की दशकों पुरानी 'औद्योगिक सभ्यता खत्म होने' की संभावना के बारे में चेतावनी सटीक लगती है. 


प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो चला है खतरनाक?


Vice.com में पब्लिश एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, MIT विशेषज्ञों के एक ग्रुप ने 1972 में सभ्यता के पतन के खतरों पर रिसर्च करने के लिए एक साथ मिलकर काम किया. Planetary Resources के अत्यधिक दोहन के कारण, क्लब ऑफ रोम द्वारा प्रकाशित उनके सिस्टम डायनेमिक्स मॉडल ने 'विकास की सीमा' (LtG) का पता लगाया. जिसका अर्थ है कि औद्योगिक समाज इक्कीसवीं सदी में किसी समय खत्म के कगार पर है.


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आर्थिक विस्तार असंभव होगा!


बेस्टसेलिंग बुक 'द लिमिट्स टू एक्सपेंशन' (1972) में प्रकाशित हुई MIT के वैज्ञानिकों के एक ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया, यदि सरकारें किसी भी कीमत पर निरंतर आर्थिक विकास का पीछा करती रहीं तो औद्योगिक सभ्यता बर्बाद हो जाएगी. इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने भविष्य की 12 संभावनाएं बताईं. जिनमें से सबसे बड़ा अनुमान यह रहा कि प्राकृतिक संसाधन इस हद तक दुर्लभ हो जाएंगे कि आगे आर्थिक विस्तार असंभव होगा. 


(एजेंसी इनपुट के साथ)


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