Sri Lanka Crisis Update: श्रीलंका में आर्थिक तंगी के बाद जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई. लोगों ने राष्ट्रपति के आवास समेत कई सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया. इस दौरान राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए. जनता ने राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग की. इसके बाद गुरुवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने सिंगापुर पहुंचने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. श्रीलंका में फिर से कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. सेना सड़क पर उतर गई है. 


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गोटाबाया के इस्तीफे के बाद कोलंबो में जश्न का माहौल


राष्ट्रपति गोटाबाया के इस्तीफे के बाद श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में जश्न का माहौल बन गया. जैसे ही लोगों को खबर लगी कि इनके राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने ई-मेल के जरिए अपना इस्तीफा दे दिया है, देश की बड़ी आबादी इसे अपनी जीत मान कर जश्न मनाने में जुट गई. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लोगों का बस ये कहना है कि बदलाव बेहतरी की मांग है. ऐसी स्थिति में श्रीलंका के पास इस आर्थिक और सियासी संकट से उबरने के लिए तीन विकल्प हैं. आइए इनके बारे में बताते हैं.


1. विक्रमसिंघे कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में जारी रखें सेवाएं


श्रीलंका में राजपक्षे ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया. अभी विक्रमसिंघे कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसे एक विकल्प के रूप में भी देखा जा सकता है. उनका इस पद पर बने रहना सीमित समय के लिए सही साबित हो सकता है. लेकिन इसका ये पक्ष ये भी है अगर वो सत्ता में रहने के लिए कोई भी बड़ा आर्थिक कदम नहीं उठाएंगे, वो रीफॉर्म करने से बचेंगे या इसके अलावा ऐसा भी हो सकता है कि लोगों की नजरों में कार्यकारी राष्ट्रपति की अहमियत कम हो जाए. ऐसा होने पर स्थिति और बिगड़ सकती है. यानी ये कहा जा सकता है कि इस विकल्प के साथ रिस्क भी जुड़ा हुआ है. 


2. सर्वदलीय सरकार बने


श्रीलंका में चल रहे संकट से उबरने के लिए दूसरा विकल्प सर्वदलीय सरकार है. इसकी मांग भी उठ रही है. रानिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में कहा भी था कि  सभी नागरिकों की सुरक्षा सहित सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मैं पार्टी नेताओं की सर्वदलीय सरकार के लिए रास्ता बनाने की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करता हूं. श्रीलंका को इस संकट से निकालने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को पुराने गिले शिकवे भुलाकर साथ में आना पड़ेगा. ये कदम देश के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.


3. मिलिट्री शासन का भी है विकल्प


इन दोनों विकल्पों के अलावा एक और विकल्प श्रीलंका के पास है. ये विकल्प है मिलिट्री शासन का. हालांकि लोकतंत्र के लिहाज से ये विकल्प ठीक नहीं माना जा सकता. लेकिन इन दिनों जैसे हालात हो रहे हैं, ऐसे में इसे एक विकल्प के रूप में जरूर देखा जा सकता है. हालांकि अब इसकी उम्मीद कम ही है. श्रीलंका की राजनीतिक पार्टियां इसके बारे में कोई विचार करती नहीं दिख रहीं हैं.


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