Iran Supreme Leader: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने साफ कर दिया है कि उन्हें लड़ने के लिए किसी प्रॉक्सी फोर्स या छद्म सेना की जरूरत नहीं है. वह इसलिए लड़ता है क्योंकि उसमें आस्था है.
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Khamenei on Proxy Force: प्रॉक्सी फोर्स को लेकर लग रहे आरोपों के बीच ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा है कि उनके पास कोई प्रॉक्सी सेना नहीं है. ना ही उन्हें ऐसी किसी प्रॉक्सी सेना या छद्म सेना की जरूरत नहीं है. बल्कि यमन इसलिए लड़ता है क्योंकि उसमें आस्था है. हिजबुल्लाह इसलिए लड़ता है क्योंकि आस्था की शक्ति ही उसे जंग के मैदान में खींचती है.
हम खुद लेंगे एक्शन
इतना ही नहीं खामेनेई ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें एक्शन लेना होगा तो वे खुद लेंगे इसके लिए उन्हें किसी प्रॉक्सी सेना की जरूरत नहीं है. रविवार को तेहरान में ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने लोगों के एक समूह से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा, ''इस्लामिक गणराज्य ईरान को किसी प्रॉक्सी फोर्स की जरूरत नहीं है. यमन इसलिए लड़ता है क्योंकि उसमें आस्था है. हिजबुल्लाह इसलिए लड़ता है क्योंकि आस्था की शक्ति उसे जंग के मैदान में खींचती है. हमास और (इस्लामिक) जिहाद इसलिए लड़ते हैं क्योंकि उनका विश्वास उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं. वे हमारे प्रॉक्सी के रूप में काम नहीं करते हैं.''
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हमास-हिजबुल्लाह को हो रहा भारी नुकसान
खामेनेई का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हमास और हिज्बुल्लाह और इजराइल के साथ जंग में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कथित तौर पर हमास और हिज्बुल्लाह दोनों को ईरान समर्थन देता है. इतना ही नहीं सीरिया की बशर अल असद सरकार को भी ईरान समर्थक माना जाता था, लेकिन अब वहां भी तख्तापलट हो चुका है. ऐसे में ईरान के सारे मोहरे इस समय गिराव में हैं या बुरी स्थिति में है. इसके अलावा यमन के हूती विद्रोहियों को भी ईरान का समर्थन मिलने का दावा किया जाता है.
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अमेरिका लगाता है आरोप
खामेनेई ने कहा, ''वे (अमेरिका) लगातार कहते रहते हैं कि इस्लामिक गणराज्य ईरान ने क्षेत्र में अपनी प्रॉक्सी फोर्सेस को खो दिया है, लेकिन ये उनकी एक और गलती है. अगर किसी दिन हम कार्रवाई करना चाहेंगे तो हमें किसी प्रॉक्सी फोर्स की जरूरत नहीं होगी और हम खुद ही एक्शन ले लेंगे.''
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दरअसल ऐसा माना जाता है कि ईरान ने इजराइल के खिलाफ लड़ाई के लिए फिलिस्तीन में हमास को खड़ा किया और लेबनान में हिजबुल्ला को मदद दी. साथ ही सीरिया की बशर अल असद सरकार के जरिए ही लेबनान में हिजबुल्लाह को हथियारों की आपूर्ति की जाती थी. हालांकि अब दोनों ही इजराइल के खिलाफ लड़ाई में बेहद कमजोर हो चुके हैं. यमन में हूती विद्रोहियों पर भी अमेरिका और ब्रिटेन ने हवाई हमले किए हैं, जिससे वे भी कमजोर हुए हैं.
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खैर, लंबे समय के बाद खामेनेई की सक्रियता ने उनकी बीमारी और कई बार मौत तक को लेकर लग रहे कयासों से तो पर्दा हटा दिया है. बीच में अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद खामेनेई लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में नजर नहीं आए थे जिसके चलते कई मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया था कि वे कोमा में हैं.
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