Chemical Weapons: सीरिया में विद्रोही गुटों के सत्ता पर कब्जे के बाद रासायनिक हथियारों को लेकर गहरी चिंता पैदा हो गई है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डर है कि ये हथियार गलत हाथों में न पड़ जाएं. विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने कहा कि उनका समूह, हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस), संभावित रासायनिक हथियार स्थलों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि एचटीएस इन हथियारों का किसी भी स्थिति में उपयोग नहीं करेगा.


हथियारों का भविष्य क्या होगा?


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रविवार को सीरियाई राजधानी पर विद्रोही गुटों ने कब्जा कर लिया, जिससे राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ना पड़ा. असद ने 24 वर्षों तक सीरिया पर शासन किया. पेंटागन ने विद्रोहियों की इस पहल की सराहना की, लेकिन चेतावनी दी कि केवल बयानबाजी पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे अमल में भी लाना होगा. इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि इन हथियारों का भविष्य क्या होगा और क्या इन्हें सुरक्षित रखा जा सकेगा.


हथियारों का इतिहास 1980 के दशक से शुरू


सीरिया का रासायनिक हथियारों का इतिहास 1980 के दशक से शुरू होता है, जब देश ने इनका उत्पादन करना शुरू किया था. माना जाता है कि एक समय पर सीरिया के पास अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रासायनिक हथियार भंडार था. 2012 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी थी कि इन हथियारों का निरंतर उपयोग एक 'लाल रेखा' होगी, जिससे अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप उचित ठहराया जा सकता है. इसके बाद 2013 में असद सरकार ने रासायनिक हथियारों को खत्म करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर सहमति दी.


सभी हथियार घोषित नहीं किए


अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) ने सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने का जिम्मा संभाला और 2014 तक 1,100 मीट्रिक टन से अधिक घातक एजेंटों को नष्ट किया. हालांकि, विशेषज्ञों ने शुरू से ही संदेह जताया कि सीरिया ने अपने सभी हथियार घोषित नहीं किए थे. 2017 और 2018 में रासायनिक हमलों की घटनाओं ने इन आशंकाओं को और मजबूत किया, जिनमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई.


अमेरिकी खुफिया एजेंसियां नजर रख रही


असद सरकार के पतन के बाद, अमेरिकी खुफिया एजेंसियां सीरिया के संभावित रासायनिक हथियार स्थलों पर नजर रख रही हैं. विद्रोही गुटों के लिए इन हथियारों का इस्तेमाल करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इनके संचालन के लिए अत्यधिक तकनीकी जानकारी और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. बावजूद इसके, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता इस बात को लेकर बनी हुई है कि इन हथियारों का गलत इस्तेमाल हो सकता है, जो पूरे क्षेत्र के लिए विनाशकारी हो सकता है. एजेंसी इनपुट