Foxconn Terry Gou, Taiwan Presidential elections: फॉक्सकॉन के संस्थापक और अरबपति कारोबारी से नेता बने टेरी ने ताइवान में 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी का एलान कर दिया है. अरबपति बिजनेस टाइकून टेरी की गिनती चीन के अरब करीबियों में होती है. इसलिए वो ये चुनाव जीतकर शी जिनपिंग और बीजिंग के नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार दिख रहे हैं. आपको बताते चलें कि ये दूसरा मौका है जब दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सकॉन के सर्वेसर्वा ने ताइवान के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है.


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2019 में पॉलिटिक्स में एंट्री


'रॉयटर्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले उन्होंने साल 2019 में फॉक्सकॉन के चीफ पद छोड़कर ताइवान की विपक्षी राजनीतिक पार्टी KMT की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की पेशकश की थी. हालांकि, पार्टी ने उनकी बजाय किसी और को चुना था. ताइवान में KMT को चीन की करीबी पार्टी माना जाता है.


इतने लाख वोटों की जरूरत


70 साल के टेरी को निर्दलीय उम्मीदवार बनने के लिए 2 नवंबर तक 3 लाख वोटरों के सिग्नेचर की जरूरत होगी. वो कुछ हफ्तों से ताइवान के दौरे पर हैं. कैंपेन के दौरान उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के रूल में ताइवान जंग की तरफ बढ़ता जा रहा है. इनकी पॉलिसी गलतियों से भरी पड़ी है.


जनता को दिखा रहे यूक्रेन जैसा हाल होने का डर


टेरी का कहना है कि वो देश के हित में समझदारी से काम कर रहे हैं. वो वोटरों को ताइवान का हाल यूक्रेन जैसा होने का डर दिखा रहे हैं. उन्होंने कह दिया है कि वो किसी भी कीमत पर ताइवान को दूसरा यूक्रेन नहीं बनने देंगे. एक संवाददाता ने उनसे पूछा कि उनके पास फॉक्सकॉन के सबसे ज्यादा शेयर हैं ऐसे में उनकी जीत से कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की स्थिति बन सकती है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वो देश की सेवा करने के लिए अपनी संपत्ति त्यागने को तैयार हैं. उन्होंने खुद के चीन का पिछलग्गू होने के आरोपों को झूठ बताते हुए कहा,  'मैं कभी चीन के प्रभाव में नहीं रहा हूं. मैं उनके इशारों पर नहीं चलता.'


दिलचस्प होगा मुकाबला


कौन बनेगा ताइवान का राष्ट्रपति ये तो अभी कोई नहीं जानता है. लेकिन इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. क्योंकि देश के लोकप्रिय नेता और उप-राष्ट्रपति विलियम लाई भी चुनावी मैदान में हैं. चीन उनसे चिढ़ता है, क्योंकि वो वहां बेहद पॉपुलर होने के साथ काफी मजबूत स्थिति में हैं.  ऐसे में टेरी के लिए ये चुनाव आसान नहीं होगा. दरअसल उन्होंने पिछली बार चीन समर्थक पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनने की कोशिश की थी, लिहाजा उसका भी खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है.