Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन ने मुहर्रम और आशूरा मनाने पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी. AMU TV की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़े के बाद से, तालिबान ने हर साल मुहर्रम  पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. हाल ही में, तालिबान ने हेरात और कई अन्य प्रांतों में आशूरा शोक मनाने वालों के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाए हैं, जिससे शिया समुदाय का दमन हो रहा है.


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बता दें दुनिया भर के मुसलमानों ने मंगलवार को आशूरा मनाया. आशूरा का दिन सभी मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन शिया मुसलमानों के लिए यह शोक मनाने का एक विशेष दिन है. यह सातवीं शताब्दी के कर्बला युद्ध (मौजूदा इराक में) की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन की शहादत हुई थी. आशूरा का त्यौहार सभी मुसलमानों द्वारा इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के 10वें दिन मनाया जाता है.


काबुल में टेलीकम्युनिक्शन सर्विस पर पाबंदी
AMU सूत्रों ने के हवाले से बताया कि पत्रकारों को आशूरा समारोहों पर रिपोर्टिंग करने से रोक दिया गया और काबुल के कई इलाकों में टेलीकम्युनिकेशन सर्विस तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी गई.


दस दिवसीय समारोह को तीन दिन का किया
शिया मौलवियों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक हस्तियों ने तालिबान के कदमों की निंदा की है और उन्हें अफ़गानिस्तान के धार्मिक मूल्यों खिलाफ बताया है.


हेरात सहित कई प्रांतों में, तालिबान ने मुहर्रम के झंडे हटा दिए हैं और आशूरा स्मरणोत्सव के लिए सभाओं को रोक दिया है.


रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने पारंपरिक दस दिवसीय समारोहों को घटाकर तीन दिन कर दिया और उन्हें काबुल के विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित कर दिया.


हेरात में तनाव
हेरात के वीडियो में तालिबान के सदस्यों को हाजी अब्बास इलाके में झंडे हटाने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है, जिसके कारण स्थानीय निवासियों और शोक मनाने वालों के साथ टकराव हुआ. इन कार्रवाइयों के बाद, हेरात में शोक मनाने वाले लोग रात में व्यापक विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए.


काफिल का शहर में दौरा करना बैन
वहीं टोलो न्यूज के मुताबिक शोक मनाने वालों के अनुसार, इस्लामिक अमीरात की सुरक्षा एजेंसियों ने मौखिक रूप से आदेश दिया है कि झंडे फहराना, सड़क के किनारे जलपान की दुकानें लगाना और काफिले में शहर का दौरा करना सभी प्रतिबंधित हैं. 


काबुल निवासी सईद हाशम ने बताया, 'उन्होंने कहा कि काबुल के पश्चिम में 20 तकियाखानों में से, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केवल दो तकियाखानों में शोक समारोह आयोजित करना चाहिए और सभी को इन दो तकियाखानों में आना चाहिए.'


हालांकि, काबुल सुरक्षा कमान के प्रवक्ता खालिद जादरान ने कहा कि शोक मनाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, उन्हें तकियाखाना (वह स्थान जहाँ शोक समारोह आयोजित किया जाता है) में शोक मनाना जरूरी है. वहीं पुण्य और सदाचार मंत्रालय ने कहा कि इन प्रतिबंधों का धार्मिक मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता स्थापित है.


Symbolic photo courtesy: Reuters