वॉशिंगटन: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. अब तक जितने भी कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आये हैं, उसमें उम्र दराज लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. इसकी प्रमुख वजह है उनका कमजोर इम्यून सिस्टम. इसे ध्यान में रखते हुए ऑक्सफोर्ड के एक अर्थशास्त्री ने बुजुर्गों से ज्यादा टैक्स (TAX) वसूलने की बात कही है. अर्थशास्त्री एवं प्रोफेसर जन-इमैनुअल डी नेव (Jan-Emmanuel De Neve) का कहना है कि चूंकि युवा बुजुर्गों के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा टैक्स देना चाहिए. 


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उन्होंने कहा कि युवाओं को लॉकडाउन जैसे उपायों से सबसे कम फायदा है, क्योंकि इम्यून सिस्टम मजबूत होने के चलते उनके संक्रमित होने का खतरा पहले से कम है. बुजुर्गों को यह महसूस करना चाहिए कि युवा आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य के मामले में अपना बलिदान कर रहे हैं. लिहाजा उन्हें इसकी भरपाई के लिए ज्यादा टैक्स भरना चाहिए. हालांकि, अपनी इस थ्योरी के लिए अर्थशास्त्री की आलोचना भी हो रही है. कुछ लोगों का कहना है कि वह कमजोर तबके को बलि का बकरा बनाने का प्रयास कर रहे हैं.


ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University)के 'वेलबीइंग रिसर्च सेंटर' के प्रमुख नेव का यह भी कहना है कि बुजुर्गों को एक-मुश्त टैक्स भुगतान का विकल्प भी दिया जा सकता है. उनका दावा है कि बुजुर्गों से मिलने वाला टैक्स युवाओं के लिए मददगार होगा, क्योंकि वही कमजोर होती अर्थव्यवस्था का शिकार बन रहे हैं. 


कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. सैंकड़ों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है, ऐसे में मौजूदा हालातों को देखते हुए नेव से सुझाव पर विचार किया जा सकता है, लेकिन चिकित्सीय दृष्टिकोण शायद इसकी इजाजत न दे. क्योंकि कोरोना ने सबसे ज्यादा नुकसान बुजुर्गों को ही पहुंचाया है.  


उम्र का नहीं किया जिक्र
आलोचनाओं से इतर नेव का कहना है कि युवा अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हैं, इसलिए उन्हें बचाने के लिए ऐसे लोगों से ज्यादा टैक्स वसूलना, जिन्हें कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित किया है, एक बेहतर उपाय है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी नजर में किस उम्र के लोगों से ज्यादा टैक्स लिया जाना चाहिए.