Coldest place on earth: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों को छोड़कर उत्तर भारत के लोग न्यूनतम पारे के एक से दो डिग्री सेल्सियल तक पहुंचने से परेशान हैं, लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश है जिसके एक गांव का तापमान -51 डिग्री रहता है. ऐसे में इसे दुनिया की सबसे ठंडी जगह का खिताब दिया गया है.


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-51 डिग्री सेल्सियस में चुनौतियां कम नहीं


यहां पर बात रूस (Russia) के साइबेरिया (Siberia) में स्थित ओम्याकोन (Oymyakon) की जिसे अंटार्कटिका के बाहर दुनिया की सबसे ठंडी जगह माना जाता है. यहां औसतन तापमान -50 डिग्री के आसपास रहता है. ठंड में यहां लोगों का हाल बेहाल हो जाता है. यहां ठंड का आलम ये होता है कि यहां कोई भी फसल नहीं उगती है. लोग अधिकतर मांस यानी नॉनवेज खाकर ही खुद को जिंदा रहते हैं. रूसी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1924 में इस जगह का तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था.


गांव की आबादी लगभग 500


साल 2018 की जनगणना के मुताबिक यहां करीब 500 लोग रहते हैं. इन लोगों पर फ्रॉस्टबाइट या पाला गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है. हालांकि इस जगह के बारे में ये भी कहा जाता था कि इसकी आबादी पहले 900 थी लेकिन जिंदगी जीने की चुनौतियों के बीच लोग इस इलाके को छोड़ते चले गए.


10 बजे उगता है सूरज


सर्दियों के वक्त यहां बच्चे औसतन -50 डिग्री तापमान तक ही स्कूल जाते हैं. फिर यहां स्कूल भी बंद कर दिये जाते हैं. बच्चों को यहां के तापमान के हिसाब से सख्त बनाया जाता है. इस वजह से 11 साल से बड़े बच्चों को ठंड से बचने के लिए -56 डिग्री सेल्सियस तापमान के नीचे ही घर में रुकने की अनुमति होती है. सर्दियों में दिन का तापमान -45 से -50 डिग्री सेल्सियस तक होता है. ऐसे में प्रशासन सभी का रेगुलर हेल्थ चेक-अप कराता रहता है. यहां रेंडियर और घोड़े के मास के अलावा लोग स्ट्रोगनीना मछली का खूब सेवन करते हैं. यहां दिसंबर के महीने में सूरज 10 बजे के करीब उगता है. इसलिए लोग खुद और अपने बच्चों पर पूरा ध्यान देते हैं.


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