Analysis: धमाकों से लगातार दूसरे दिन दहला लेबनान; 5 प्वाइंट्स में समझिए, हिजबुल्लाह के पास विकल्प क्या हैं?
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Analysis: धमाकों से लगातार दूसरे दिन दहला लेबनान; 5 प्वाइंट्स में समझिए, हिजबुल्लाह के पास विकल्प क्या हैं?

 Lebanon Challenges after pajor attack: रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया कि इजराइली सीक्रेट एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह के 3000 पेजर्स में एक्सप्लोसिव मैटिरियल लगाए थे. टारगेट किलिंग में इस्तेमाल होने वाले पेजर्स कोड की मदद से ऑपरेट होते थे. उन्हीं पेजरों ने मौत का सामान बनकर इजरायल के दुश्मन हिजबुल्लाह को गहरी चोट देते हुए उसे सोचने पर मजबूर कर दिया है.

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Lebanon pajor attack: ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह के 5000 पेजर्स में विस्फोटक लगाए थे. ये पेजर्स कोड की मदद से ऑपरेट होते थे, अब इन्हीं पेजरों ने मौत का सामान बनकर इजरायल के दुश्मनों को मिटाने के लिए भरसक काम किया है.

  1. हिजबुल्लाह में फूट की आशंका: पेजर और वॉकी टॉकी धमाकों में करीब दो दर्जन से ज्यादा मौतों से इजरायल को आंख दिखाने वाला हिजबुल्लाह सहम गया है. इन हमलों के बाद इजरायल ने बैक टू बैक हिजबुल्लाह पर प्रचंड हवाई हमला किया. इजरायली एयरफोर्स दक्षिणी लेबनान स्थित हिजबुल्लाह के ठिकानों पर मिसाइलें दागीं. फिर लाइट इंफैट्री वाले तोपखाने से गोले बरसाकर हिजबुल्लाह के सैन्य ठिकानों को बर्बाद कर दिया. पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिजबुल्लाह में फूट पड़ने की आशंका जताई जा रही है. दो महीने पहले हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर की हत्या हुई थी. इस बार पिटने से उसका एक धड़ा ये सोच रहा है कि उन्हें ईरान या फिलिस्तीन की जंग में डायरेक्ट पार्टी बनने के बजाए वेट एंड वाच की पॉलिसी अपनानी चाहिए. ऐसा सोचने वालों का मानना है कि परिस्थितियां अनुकूल होने पर बाद में सीधी जंग लड़ी जा सकती है, अभी कुछ समय के लिए गाजा के लोगों की मदद कुछ और तरीकों से की जा सकती हैं. 
  2. भरोसे का संकट: पेजर्स की जिस खेप में ब्लास्ट हुआ वो ताइवान में बने थे. वैसे भी इजरायल के विरोधी 'उम्मा' के नाम पर अमेरिका या यहूदियों के हाथ का बना खाना-पीना और उनकी काफी तक पसंद नहीं करते ऐसे में वो न उनसे तकनीक खरीद सकते हैं ना ही हथियार, अब एक बार के लिए ये किसी थर्ड पार्टी से माल लेने की कोशिश करें तो अमेरिका या उसके सहयोगी देशों के फिल्टर्स लगे होने के चलते उनके हथियार आतंकवादियों तक नहीं पहुंच पाएंगे. ऐसे में ले देकर न्यूट्रल देशों से हिजबुल्ला अपना सामान मंगवाता है. इसलिए दूध का जला हिजबुल्लाह अब छांछ भी संभल-संभल कर पिएगा.
  3. नई तकनीक की जरूरत: हिजबुल्लाह को अपने नेटवर्क यानी संचार व्यवस्था संभालने के लिए अब किसी नई तकनीक की जरूरत होगी. यह हमला हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह को भी एक संदेश देता है कि उसे अपना संगठन किस दिशा में ले जाना चाहिए. पेजर धमाकों के बाद हिजबुल्लाह ये सोचने पर मजबूर होगा कि अब किस आधुनिक तरीके से अपना संपर्क करें जिससे वो किसी मोबाइल या इंटरनेट सिग्नल या राडार से ट्रेस न हो सकें. अब लेबनान इलेक्ट्रानिक उत्पादों के लिए किसी और देश से बात करके संपर्क सूत्र बहाली करने का इंतजाम करेगा. तब तक माना जा रहा है कि उसके आतंकवादी ठंडे यानी साइलेंट मोड में रहने पर मजबूर हो सकते हैं.
  4. नया डर:  हिजबुल्लाह सेफ्टी के लिए मोबाइल यूज नहीं करता. इसके पीछे इजराइल के पेगासस और अमेरिका के अन्य स्पाइवेयर के ट्रैक में आने से बचना प्रमुख वजह रहती है.  इसलिए उसके लड़ाके मेड इन ताइवान में बने पेजर्स की प्रोग्रामिंग से काम चला रहे थे. इसके अलावा वो आपस में बात करने के लिए जापान में बने वॉकी-टॉकी यूज करते थे. ताइवान और जापान दोनों देशों की सफाई आ चुकी है कि पेजर और वॉकी-टॉकी जब पैक होकर वहां से निकल गए तो आगे जहां उनपर कर्मशियल लेबनिंग हुई या कुछ और वैल्यू एडिशन वहां पर ही पेजर्स की प्रोग्रामिंग बदल दी गई. अब हिजबुल्लाह के सामने डर ये है कि नई कंसाइनमेंट ने तो कांड कर दिया कहीं पुरानी खेप में मौजूद उपकरण उनकी जासूसी तो नहीं कर रहे होंगे. या वो तो किसी तरह से उनकी मुसीबत की वजह तो नहीं बन जाएंगे. 
  5. चोट तो गहरी है: धमाकों ने हिजबुल्लाह के हौसले पर भी प्रहार किया है. ताजा हमलों ने अगर लेबनान बैकफुट पर आता है तो वो फिर इजरायल जो अभी एक साथ चार मोर्चों पर जंग लड़ रहा है, वो अब गाजा, ईरान से फाइनल असाल्ट जैसी जंग लड़ने के साथ अन्य दुश्मनों जैसे यमन के हूती आतंकवादियों और कभी-कभी इजरायल पर ड्रोन और रॉकेट दागने वाले इराक को भी सबक सिखा सकता है. एक US वेबसाइट एक्सियोस के मुताबिक इजराइल को पेजर विस्फोट का फैसला अचानक से लेना पड़ा, इसकी वजह इजराइल को डर था कि हिजबुल्लाह को पेजर में विस्फोटक होने का पता चल सकता है. IDF ने कहा कि इजराइल के पास दो ऑप्शन थे. पहला इस्तेमाल करो या दूसरा भूल जाओ. ऐसे में इजराइल ने पहला ऑपशन चुना.

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