Wheat Crysis in Egypt: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को अब 100 दिन पूरे होने वाले हैं. इस युद्ध ने पूरी दुनिया में कई तरह की परेशानी पैदा की हैं. उन्हीं में से एक हैं गेहूं का संकट जो देश गेहूं के लिए रूस और यूक्रेन पर सबसे ज्यादा निर्भर थे. मिस्र गेहूं न होने की वजह से ब्रेड और अन्य समस्याओं से जूझ रहा है. मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के जिस गेहूं को तुर्की ने खराब बताकर लौटा दिया था, उस गेहूं की खेप को दूसरे देश ने फौरन खरीद लिया. मिंट में छपी खबर के मुताबिक,तुर्की के लौटाए गेहूं को मिस्र ने हाथोंहाथ ले लिया है और भारत ने उसे मिस्र भेज दिया है.


तुर्की ने लौटाया था 56000 टन गेहूं


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दरअसल रूस और यूक्रेन से गेहूं न मिलने पर उत्पन्न हुए संकट को दूर करने के लिए कई देशों ने भारत का रुख किया, लेकिन पिछले दिनों भारत ने भी गेहूं के निर्यात पर रोक लगी दी थी. हालांकि इन सबके बीच भारत को 56000 टन गेहूं की खेप पिछले दिनों तुर्की को भेजनी पड़ी, क्योंकि बैन से पहले इसकी डील हो गई थी, लेकिन जब गेहूं की खेप तुर्की पहुंची तो वहां की सरकार ने गेहूं को खराब बताकर लेने से इनकार कर दिया. हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी वजह साफ नहीं हुई है, लेकिन चर्चा है कि तुर्की ने रुबेला वायरस के खतरे को देखते हुए भारत के गेहूं को लौटाया है.


मिस्र ने पिछले महीने लगाई थी मदद की गुहार


बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मिस्र को जाने वाला गेहूं और अन्य खाद्य सामान नहीं जा पा रहा है. इससे मिस्र में खाद्य संकट खड़ा हो गया है. पिछले महीने मिस्र ने भारत से गेहूं को लेकर मदद मांगी थी. मिस्र के खाद्य संकट को देखते हुए भारत ने बैन के बाद भी उसे गेहूं निर्यात करने का फैसला किया. सरकार ने पिछले महीने मिस्र में 61500 टन गेहूं भेजा था. यह खेप मिस्र के लिए नाकाफी है. अब जब मिस्र ने तुर्की के मना करने पर मौका देखा तो उस लौटाए हुए गेहूं को भी खरीद लिया.