UK  News: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने देश में 1970 के दशक में मरीजों को संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में सोमवार को माफी मांगी. सरकार  को सौंपी गई एक जांच रिपोर्ट में नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) पर इस मामले को दबाने का आरोप लगाया गया है.


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संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में सुनक ने कहा कि जांच में बताए गए‘विफलताओं और इनकार के रवैये’ के बाद यह ब्रिटेन के लिए शर्म का दिन है. उन्होंने जांच समिति के अध्यक्ष सर ब्रायन लैंगस्टाफ द्वारा इस मुद्दे पर अपना कड़ा फैसला सुनाए जाने के कुछ घंटों बाद यह बात कही.


क्या है मामला?
यह माना जाता है कि ब्रिटेन में, 1970 के दशक से लेकर 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों तक एचआईवी या हेपटाइटिस से संक्रमित ब्लड चढ़ाने से करीब 3,000 लोगों की मौत हुई.


इस मामले की जांच में सोमवार को पाया गया कि अधिकारियों और लोक स्वास्थ्य सेवा ने जानकारी रहने के बावजूद हजारों मरीजों को संक्रमित रक्त के जरिए जानलेवा संक्रमण कराया.


इस स्कैंडल को 1948 से ब्रिटेन की सरकार संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के इतिहास में सबसे घातक आपदा माना जाता है.


प्रभावित लोगों को हुईं ये बीमारियां
प्रभावित हुए ज्यादातर लोग ‘हेमोफिलिया’ से ग्रसित थे. इसके चलते रक्त में थक्का बनना कम हो जाता है.


1970 के दशक में मरीजों को नया उपचार दिया गया जिसे ब्रिटेन ने अमेरिका से अपनाया था. कुछ प्लाज्मा, कैदियों सहित ऐसे लोगों का था जिन्हें रक्त के एवज में भुगतान किया गया था.


जांच रिपोर्ट के अनुसार, करीब 1,250 लोगों को ब्लीडिंग प्रॉब्लम हुई जिनमें 380 बच्चे थे. ये लोग एचआईवी वाला खून चढ़ाने से संक्रमित हुए थे. उनमें से तीन-चौथाई की मौत हो गई, जबकि 5,000 लोग ‘हेपटाइटिस सी’से ग्रसित हो गए जो एक प्रकार का लिवर इनफेक्शन है.


रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीच, खून चढ़ाने पर करीब 26,800 अन्य लोग भी ‘हेपटाइटिस सी’ से संक्रमित हुए.


पीएम ने और क्या कहा?
सुनक ने पीड़ितों और उनके परिवारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे यह समझना लगभग असंभव लगता है कि यह कैसा महसूस हुआ होगा… मैं दिल से और स्पष्ट रूप से माफी मांगना चाहता हूं.’


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मौजूदा और 1970 के दशक की हर सरकार की ओर से, मुझे वास्तव में खेद है.' उन्होंने सभी पीड़ितों को मुआवजा देने की पुष्टि की.


'सबूतों को नष्ट किया गया'
पूर्व जज लैंगस्टाफ ने इसे टालने में नाकाम रहने के लिए तत्कालीन सरकारों और चिकित्सा पेशेवरों की आलोचना की है. उन्होंने पाया कि गड़बड़ी को छिपाने के लिए जानबूझकर प्रयास किए गए और सरकारी अधिकारियों द्वारा सबूत नष्ट करने के सबूत हैं.


लैंगस्टाफ ने कहा, ‘यह कोई दुर्घटना नहीं थी. संक्रमण इसलिए हुए कि डॉक्टर, ब्लड सर्विस प्रॉवाइडर और तत्कालीन सरकारों ने मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी.’


(इनपुट - एजेंसी)


(फोटो प्रतीकात्मक)