US Security Council: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 25वीं बार सुरक्षा परिषद सुधारों के लिए बातचीत को अगले सत्र के लिए बढ़ाया है.  भारत ने बातचीत प्रक्रिया में सुधार किए बिना इसे 75 साल तक जारी रखने की चेतावनी दी है.  वार्ता की विफलता को फिर से बढ़ने के लिए एक ‘बर्बाद अवसर’ बताते हुए, भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को कहा कि यह प्रक्रिया ‘वास्तविक सुधार की दिशा में किसी भी तरह की प्रगति के बिना अगले 75 वर्षों तक चल सकती है.’


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कंबोज ने कहा कि अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) में तब तक प्रगति नहीं हो सकती जब तक कि प्रक्रिया के महासभा के नियमों और एकल वार्ता पाठ को इसके लिए नहीं अपनाया जाता.


जैसा कि 2009 में आईजीएन शुरू होने के बाद से इसने हर सत्र में किया है, महासभा ने वार्ता को सितंबर में शुरू होने वाले अपने अगले सत्र में स्थानांतरित करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया.


प्रगित में बाधा का मुख्य कारण
प्रगति में मुख्य बाधा इटली के नेतृत्व वाले देशों के एक छोटे समूह का विरोध है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है, इस पर सुधार के लिए चर्चा को आधार बनाने के लिए एक वार्ता पाठ को अपनाया जा सकता है.


कंबोज ने कहा, ‘यह स्थिति स्पष्ट रूप से उन लोगों के हित में है, जो यथास्थिति चाहते हैं, ताकि इस प्रक्रिया को दोहराव वाले चक्रों में स्थिर रखा जा सके.’


भारत ‘दोहराए गए भाषणों से पाठ-आधारित वार्ताओं की ओर बढ़ने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा’, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘आईजीएन से परे देखना हमें भविष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए एकमात्र व्यवहार्य मार्ग के रूप में दिखता है जो आज की दुनिया को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करेगा.’


सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के स्थायी प्रतिनिधि, इंगा रोंडा किंग ने एल.69 समूह की ओर से इसी तरह की चेतावनी दी और कहा, ‘अगर हम सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर ठोस परिणाम देने में विफल रहते हैं, तो हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक और मंच खोजने की संभावना को जोखिम में डालते हैं जिसके भीतर वह वैकल्पिक समाधान पर पहुंच सकता है.


गौरतलब है कि एल.69 दुनिया भर के 30 से अधिक विकासशील देशों का एक समूह है जो परिषद में सुधार के लिए काम कर रहा है.


किंग ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद सुधार पर प्रगति करने में विफलता हमारी विश्वसनीयता और वैधता के लिए एक वास्तविक खतरा बनी हुई है और अप्रत्यक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के तरीके से जमीनी स्तर पर स्थितियों को बदलने में सुरक्षा परिषद की अक्षमता को कायम रखती है.’


महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी ने आईजीएन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘इन वार्ताओं के इतिहास में पहली बार, आईजीएन बैठकों के पहले खंड अब वेबकास्ट किए जा रहे हैं, और रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक वेबसाइट स्थापित की गई है.’


साबा कोरोसी ने कहा, ‘आप जिस सुधार को देखना चाहते हैं, उसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाना सदस्य देशों पर निर्भर है, सच्ची राजनीतिक प्रतिबद्धताएं विश्वास के पुनर्निर्माण और संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करने की कुंजी हैं.’


(इनपुट- न्यूज एजेंसी: IANS)