आतंकी मसूद अजहर को बैन करने के लिए अमेरिका ने UNSC में दिया प्रस्ताव, चीन को फटकारा
अमेरिका के इस प्रस्ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन किया है. चीन 4 बार लगा चुका है अड़ंगा.
नई दिल्ली : पुलवामा हमले के गुनहगार और पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को लेकर अब भारत को अमेरिका का साथ भी मिला है. फ्रांस और ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकी मसूद अजहर को बैन करने के लिए प्रस्ताव दिया है. अमेरिका के इस प्रस्ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन किया है. अमेरिका ने चीन को इस मामले पर फटकार भी लगाई है.
हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि अमेरिका के इस प्रस्ताव पर वोटिंग कब होगी. लेकिन आशंका जताई जा रही है कि चीन एक बार फिर इस पर वीटो लगा सकता है. अमेरिका ने यह प्रस्ताव 15 सदस्यीय काउंसिल को दिया है. इसमें कहा गया है कि मसूद अजहर पर बैन लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही उसकी संपत्तियां जब्त करने और उसकी विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लग जाएगा. इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. अमेरिका की ओर से दिए गए प्रस्ताव में साफतौर पर कहा गया है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और अलकायदा से जुड़ा हुआ है. वह इनके जरिये आतंकी फंडिंग, हथियार बनाने व उनकी सप्लाई और जैश का मदद मुहैया कराता है.
हाल ही में चीन ने चौथी बार मसूद को बैन करने और वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर रोक लगाई थी. चीन की ओर से चौथी बार लगाई गई यह रोक टेक्निकल होल्ड के रूप में थी. इस पर चीन का कहना है कि वह मसूद को लेकर और जानकारियां और तथ्य जुटा रहा है. चीन का यह टेक्निकल होल्ड नौ महीने तक मान्य रह सकता है.
वहीं जैश-ए-मोहम्मद 2001 से ही संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में शामिल है. चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में एक हैं. उसके अलावा अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन इसके स्थायी सदस्य हैं. इनमें से फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन अब तक मसूद को बैन करने के लिए यूएनएससी में प्रस्ताव रख चुके हैं.
इसके साथ ही अमेरिका ने चीन को इस मामले पर फटकार भी लगाई है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि चीन ने अप्रैल 2017 से उइगर समेत अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में रखा हुआ है. इनकी संख्या करीब 10 लाख है. चीन उन्हें रिहा करे. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के साथ चीन का यह पाखंड विश्व हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा. एक ओर चीन अपने यहां करीब 10 लाख मुस्लिमों का शोषण कर रहा है, दूसरी ओर इस्लामिक आतंकी समूहों को संयुक्त राष्ट्र में बैन करने से बचा रहा है.