वॉशिंगटन: एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान की सरकार को शामिल किये बिना तालिबान से वार्ता करके वहां की सरकार को अवैध बना दिया है. उन्होंने आतंकवादी संगठन के साथ समझौते संबंधी ट्रम्प प्रशासन की रूपरेखा को ‘‘आत्मसमर्पण‘‘ करार दिया.


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अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत रहे रयान क्रोकर ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब अफगानिस्तान में सुलह के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद ने हाल में कहा है कि तालिबान के साथ समझौते की रूपरेखा को लेकर ‘‘सैद्धांतिक रूप से सहमति’’ बन गई है. इस समझौते के तहत तालिबान अफगानिस्तानी जमीन का आतंकवादियों द्वारा कभी इस्तेमाल नहीं किये जाने और 17 साल पुराने युद्ध को समाप्त करने की गारंटी देगा.


क्रोकर ने कहा, ‘‘मैं अफगानिस्तान का राजदूत रह चुका हूं. यह समझौता आत्मसमर्पण है.’’ उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ मौजूदा शांति वार्ता वियतनाम युद्ध के दौरान हुए पेरिस शांति वार्ता से दुर्भाग्यपूर्ण रूप से मेल खाता है. क्रोकर ने अफगानिस्तान सरकार को शामिल किये बिना समझौते की रूपरेखा तैयार किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि तालिबान, अफगानिस्तान सरकार को अमेरिकी दखल की अवैध कठपुतली बताते हुए उसके साथ वार्ता करने से इनकार करता रहा है.


उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान की इस मांग को मानकर हमने स्वत: ही उस सरकार को अवैध बना दिया है जिसे हम समर्थन देने का दावा करते हैं.’’ 


(इनपुट: भाषा)