वॉशिंगटन: कोरोना संकट (Corona Virus) के चलते अमेरिका में बढ़ रही बेरोजगारी को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने H-1B सहित अन्य विदेशी वर्क-वीजा पर रोक लगा दी है. यह रोक इस साल के अंत तक कायम रहेगी. अमेरिकी सरकार के इस कदम से भारतीयों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है. अपने फैसले को सही करार देते हुए ट्रंप ने कहा कि इससे उन लाखों अमेरिकियों को मदद मिलेगी, जिन्हें COVID-19 प्रकोप के चलते अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. 


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व्यावसायिक संगठन, कानूनविदों और मानवाधिकार निकायों के विरोध के बावजूद ट्रंप सरकार ने यह फैसला लिया है. सरकार के इस कदम से खासतौर पर भारतीय आईटी पेशेवरों सहित कई अमेरिकी और भारतीय कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा, जिन्हें 1 अक्टूबर से वित्तीय वर्ष 2021 के लिए H-1B वीजा जारी किया गया था.


इस संबंध में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘हमें संयुक्त राज्य अमेरिका के श्रम बाजार पर विदेशी कामगारों के प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए, विशेष रूप से तब जब मौजूदा असाधारण परिस्थितियों के चलते बेरोजगारी दर बढ़ी है और श्रम की मांग में कमी आई है’. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में समग्र बेरोजगारी दर में फरवरी और मई के बीच चार गुना उछाल दर्ज किया गया है. हमारे लोगों को अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में नौकरियों के लिए विदेशी नागरिकों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है. इसमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो अस्थायी काम के लिए अमेरिका आते हैं. ये लोग अपने पति-पत्नी या बच्चों को भी साथ लाते हैं, जो आगे चलकर अमेरिकियों के लिए प्रतिस्पर्धा निर्मित करते हैं.


ट्रंप के अनुसार, 2020 में फरवरी से अप्रैल के बीच ऐसे उद्योगों में 17 मिलियन से अधिक नौकरियां गई हैं, जहां नियोक्ता H-2B  गैर-आप्रवासी वीजा से जुड़े कर्मचारियों को काम पर रखने में दिलचस्पी दिखाते हैं. इसी अवधि के दौरान,  अमेरिका के 20 मिलियन से अधिक कर्मचारियों ने ऐसे प्रमुख उद्योगों में अपनी नौकरी गंवाई, जो मुख्यरूप से H-1B और L वीजा धारकों से अपने पद भरते हैं.  


सोमवार को H-1B सहित अन्य विदेशी वर्क-वीजा रद्द करने की घोषणा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मई में कुछ J गैर-अप्रवासी वीजा आवेदकों से प्रतिस्पर्धा करने वाले युवा अमेरिकियों की बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ है. विशेष रूप से 16-19 आयुवर्ग में यह 29.9 प्रतिशत और 20-24 आयुवर्ग के कर्मचारियों में यह 23.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है. H-1B, H-2B, J और L गैर-अप्रवासी वीजा प्रोग्राम के तहत आने वाले कर्मचारी मौजूदा कठिन परिस्थिति में अमेरिकियों के लिए बड़ा खतरा पेश कर रहे हैं’. 


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