इजरायल के इंतकाम की कहानी, मोसाद की जुबानी; लेबनान में हिजबुल्लाह पर पेजर अटैक की इनसाइड स्टोरी
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इजरायल के इंतकाम की कहानी, मोसाद की जुबानी; लेबनान में हिजबुल्लाह पर पेजर अटैक की इनसाइड स्टोरी

Lebanon pager attack: यहां बात लेबनान के पेजर धमाकों की जहां हिजबुल्लाह से जुड़े तमाम बड़े आतंकी मारे गए और 3000 अन्य घायल हो गए थे.

इजरायल के इंतकाम की कहानी, मोसाद की जुबानी; लेबनान में हिजबुल्लाह पर पेजर अटैक की इनसाइड स्टोरी

Lebanon pager explosion: मिडिल ईस्ट में दशकों से तनाव है. कब बम और मिसाइल दग जाए कोई नहीं जानता. क्षेत्रीय संघर्ष की बात करें तो इजरायल का इंतकाम दुनिया में मशहूर रहा है. हमास के इजरायल पर हमले के बाद इजरायल ने बम मार-मारकर गाजा सपाट कर दिया. सबकुछ धुआं-धुआं कर दिया. हमास के हमदर्द बनकर यमन के हूथियों और लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने हिमाकत करी तो उन्हे सजा देने में इजरायल ने देर नहीं लगाई. इजरायल ने फैसला ऑन-स्पॉट मोड में अपना हिसाब किताब बराबर किया. सितंबर में आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के आकाओं का दिमाग ठिकाने लगते हुए दुनिया ने देखा. बात लेबनान के पेजर धमाकों की जहां हिजबुल्लाह के आतंकी मारे गए और 3000 अन्य घायल हो गए.

अब इस पेजर अटैक की इनसाइड स्टोरी का खुलासा मोसाद के दो रिटायर्ड एजेंट्स ने किया है

अपनी जमीन से दूर विदेशी धरती पर चले इस सबसे साहसी और अकल्पनीय काउंटर इंटेलिजेंस ऑपरेशनों की कहानी का सिलसिलेवार खुलासा मोसाद के दो सीनियर रिटायर्ड एजेंट्स ने किया है. ये दुनिया के वो सबसे खतनाक एजेंट्स हैं, जिन्होंने हमेशा अपने देश के दुश्मनों को एक सख्त संदेश दिया - 'हमारे साथ खिलवाड़ मत करो वरना मारे जाओगे.'

इंटरव्यू में सुनाई इनसाइड स्टोरी

सीबीएस न्यूज को दिए इंटरव्यू में इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के दो पूर्व एजेंट्स जिन्होंने पेजर ब्लास्ट ऑपरेशन और अगले दिन वॉकी-टॉकी ब्लास्ट ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी. दोनों एजेंट्स ने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने हिजबुल्लाह को इजरायल से डिवाइस खरीदने और आतंकवादियों के खिलाफ उनका इस्तेमाल करने के लिए उन्हें चकमा दिया.

एजेंट्स ने खुलासा किया कि हिजबुल्लाह को खुद उसके हाथों से नुकसान पहुंचवाने का आइडिया बहुत पुराना था. हिजबुल्लाह के लोगों की आंख में धूल झोंककर उन्हें धोखा देने का ये ऑपरेशन करीब 10 साल पहले वॉकी-टॉकी के उस दौर में शुरू हुआ था, जब आतंकी संगठनों में इस डिवाइस का भरपूर इस्तेमाल होता था. इस डिवाइस का यूज इजरायल ने हथियार की तरह किया था. एजेंट्स ने बताया कि ये डिवाइस इजरायल में मोसाद ने खुद बनाई थी, जिसमें बैटरी के अंदर विस्फोटक डिवाइस लगाई गई थी. पूर्व एजेंट्स ने कहा कि हिजबुल्लाह ने 16,000 से अधिक विस्फोटक वॉकी-टॉकी खरीदे थे.

इसके बाद यह इजरायल पर निर्भर था कि उन्हें अपने उस हथियार को कब और कैसे एक्टिव करना है. हमने लंबा इंतजार किया. उन्हें भनक तक नहीं लगने दी कि जिस खिलौने को वो अपने काम की चीज मानकर चौबीस घंटे साथ रखते हैं, अपना सीक्रेट प्लान उस पर एक्जीक्यूट करने हैं वो वाकी टॉकी नहीं बल्कि उनकी मौत का सामान थे. मीडिया द्वारा ये पूछे जाने पर कि क्या हिजबुल्लाह को पता था कि वो इज़राइल से वॉकी-टॉकी खरीद रहे हैं, तो पूर्व एजेंटों ने कहा, जाहिर है कि उन्हें नहीं पता था कि वो इसे इज़राइल से खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा ये पुराना सीक्रेट मिशन था. 

मोसाद ने बनाई नकली दुनिया

उन्होंने खुलासा किया कि मोसाद ने लेबनानी आतंकी संगठन को चकमा देने के लिए एक नकली दुनिया. ये साबित तकर दिया कि वो दुनिया की सबसे बड़ी ग्लोबल कंपनी है, इस काम में दुनियाभर में हमारी बादशाहत है.

विस्फोटक के रूप में पेजर का उपयोग करने का विचार कैसे आया?
चूंकि वॉकी-टॉकी आज भी कई जगह बहुतायत में इस्तेमाल होता है. खासकर वार जोन में. इसलिए हमने पुरानी मैसेजिंग डिवाइस पर फोकस किया. मोसाद ने एक ऐसा उपकरण विकसित करने की योजना बनाई जो हिज़्बुल्लाह के आतंकवादियों की जेब में हर समय मौजूद रहे - एक पेजर.

पूर्व एजेंटों ने कहा, दुनिया भर में पेजर ऑउट ऑफ फैशन हो चुका है, लेकिन हिज़्बुल्लाह अभी भी इसका उपयोग कर रहा था. हमारी टीम ने 2022 में ऑपरेशन के दूसरे चरण को एक्जीक्यूट करने पर फोकस किया. तब पता चला हिज़्बुल्लाह गोल्ड अपोलो नाम की ताइवानी कंपनी से पेजर खरीद रहा था.

इसे बम बनाने के लिए, हमें इसका साइज थोड़ा बढ़ाने की सोची. हमने सोचा कि आम लोगों को इससे खतरा न हो इसलिए महज इतना बारूद लगाया जाए कि केवल पेजर हाथ में लेने वाला शख्स ही घायल हो या मारा जाए. यानी टारगेट के पास बैठे लोगों को भी नुकसान न पहुंचे. ऐसा कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए किया गया था. मोसाद ने रिंगटोन का परीक्षण किया जो इतना आकर्षक हो कि कोई व्यक्ति इसे अपनी जेब से निकाल सके. उन्होंने ये भी परीक्षण किया कि किसी व्यक्ति को पेजर का जवाब देने में कितना समय लगता है.

मोसाद ने पेजर को बम में कैसे बदला?

पूर्व एजेंटों ने सीबीएस न्यूज को बताया कि मोसाद अपने पेजर पर 'गोल्ड अपोलो' नाम का उपयोग करना चाहता था, जिसके लिए उन्होंने हंगरी में एक बिल्डिंग खरीदी और शेल कंपनियां खड़ी कीं, ताकि मोसाद के साथ साझेदारी करने के लिए ताइवान के लोगों को भी धोखे में रखा जा सके.

उन्होंने कहा कि ताइवान की कंपनी को इस बात की भनक तक नहीं थी कि वो मोसाद के साथ काम कर रहे हैं. इसी तरह से हिजबुल्लाह को भी नहीं पता था कि वो सीधे अपने काल यानी मोसाद से डील कर रहा था. 

मोसाद ने गोल्ड अपोलो की सेल्सवुमन को नौकरी से निकाल दिया, जिसके साथ हिजबुल्लाह काम करता था. उसने मुफ्त में पुराने पेजर्स को अपग्रेड करने के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव दिया. उसके झांसे में आए लोगों ने थोक के भाव पेजर्स खरीदे और अपग्रेड कराए, जिसका नतीजा ये हुआ कि सैकड़ों आतंकी एक बार में घायल हो गए.

हिजबुल्लाह ने सितंबर 2024 तक 5,000 पेजर खरीद लिए थे। अब, इजरायल के पास एक ही सवाल बचा था - दोनों बमों - वॉकी-टॉकी और पेजर को कब सक्रिय किया जाए।
unhonne kaha ki taivaan kee 

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