ताइपे: अमेरिकी राजनयिक ब्रेंट क्रिस्टेंसन ने बुधवार को कहा कि ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से इतर’’ ताइवान का भविष्य तय करने की कोई भी कोशिश क्षेत्रीय स्वतंत्रता के लिये एक खतरा है और अमेरिका के लिये ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय है. ‘अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ ताइवान’ के प्रमुख क्रिस्टेंसन ने यह भी कहा कि अमेरिका ताइवान को सैन्य साजो-सामान की बिक्री जारी रखेगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी भागीदारी को भी बढ़ावा देगा जिसे चीन रोकने की अधिकाधिक कोशिश कर रहा है. चीन ताइवान को अपनी सरजमीन मानता है जिसे जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक भी मिलाया जा सकता है.


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हाल के दिनों में ताइवानी राष्ट्रपति त्साइ इंग-वेन के प्रभाव को कम करने के प्रयास के तहत चीन ने अपनी धमकियां बढ़ा दी हैं. ताइवानी राष्ट्रपति ने चीन की मांग के सामने झुकने और ताइवान को चीन का एक हिस्सा मानने से इनकार कर दिया. अमेरिका ने चीन को मान्यता देने के लिये 1979 में ताइवान से अपने औपचारिक संबंध तोड़ लिये थे लेकिन दोनों के बीच मजबूत अनाधिकारिक सैन्य और कूटनीतिक संबंध बरकरार रहे.



क्रिस्टेंसन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ये रिश्ते ‘ताइवान रिलेशंस एक्ट’ से संचालित होते हैं जिसके तहत अमेरिका यह सुनिश्चित करता है कि ताइवान के पास अपनी सुरक्षा की क्षमता बनी रहे. उन्होंने कहा कि 40 साल बीत जाने के बाद भी अमेरिका की नीति ‘‘बदली नहीं है’’. उल्लेखनीय है कि नाम को छोड़कर अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ ताइवान बाकी सभी तरह से दूतावास के तौर पर काम करता है. 


इनपुट भाषा से भी