विवेक रामास्वामी ने कहा, अगर US प्रेसिडेंट बना तो खत्म कर दूंगा अवैध प्रवासियों के बच्चों की नागरिकता
US Presidential Election 2024: रामास्वामी ने तर्क दिया कि अमेरिका में बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उनके माता-पिता ने देश में रहने के लिए ‘कानून तोड़ा.’
US News: कठोर नीतिगत बदलावों के अपने प्रस्तावों को जारी रखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल भारतवंशी विवेक रामास्वामी ने कहा है कि वह अमेरिका में अवैध प्रवासियों के बच्चों के लिए जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का समर्थन करेंगे.
वर्ष 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी के लिए रिपब्लिकन पार्टी की दूसरी बहस बुधवार को कैलिफोर्निया के सिमी वैली में ‘रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी एंड म्यूजियम’ में आयोजित की गई. इस बहस में रामास्वामी को फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व राजदूत निक्की हेली सहित छह अन्य उम्मीदवारों के साथ मंच साझा करते देखा गया.
ट्रंप ने भी किया था ये वादा
अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में बुधवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार जब रामास्वामी से पूछा गया कि बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों और अमेरिकी मूल के उनके बच्चों को देश से बाहर निकालने के लिए वह ‘किस कानूनी आधार’ का इस्तेमाल करेंगे, तो उन्होंने 2015 के प्रस्ताव का जिक्र किया. तत्कालीन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जन्मजात नागरिकता समाप्त करने का वादा किया था.
रामास्वामी ने तर्क दिया कि अमेरिका में बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उनके माता-पिता ने देश में रहने के लिए ‘कानून तोड़ा.’
रामास्वामी (38) ने देश के दक्षिणी सीमा के सैन्यीकरण, शरणार्थियों के ‘पनाहगाह शहरों’ को निधि से वंचित करने और मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका की विदेशी सहायता समाप्त करने जैसे अन्य उपायों का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वह इस देश में अवैध प्रवासियों के बच्चों के लिए जन्मजात नागरिकता को समाप्त करके एक कदम आगे बढ़ेंगे.
एच-1बी वीजा कार्यक्रम की आलोचना की
दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी रामास्वामी ने पूर्व में एच-1बी वीजा कार्यक्रम की आलोचना करते हुए कहा था कि वर्तमान ‘लॉटरी’ प्रणाली को ‘खत्म’ करने की जरूरत है और इसकी जगह जरूरतों को पूरा करने के लिए योग्यता, कौशल-आधारित आव्रजन योजना लागू की जानी चाहिए.
एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है. यह एक गैर प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है.
एच-1बी वीजा पर रामास्वामी का रुख 2016 में ट्रंप के प्रचार अभियान की भी याद दिलाता है. तत्कालीन उम्मीदवार के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने पहले इन विदेशी कामगारों पर सख्त रुख अपनाया था. हालांकि, बाद मेंउन्होंने अपनी बयानबाजी में नरमी लाई. गौरतलब है कि रामास्वामी ने भी 29 बार एच-1बी वीजा कार्यक्रम का इस्तेमाल किया है.
अखबार ‘पोलिटिको’ के अनुसार, 2018 से 2023 तक अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं ने एच-1बी वीजा के तहत कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए रामास्वामी की पूर्व कंपनी रोइवंत साइंसेज के लिए 29 आवेदनों को मंजूरी दी.
मशहूर ‘टाइम’ पत्रिका द्वारा रामास्वामी को ‘ट्रंप का उत्तराधिकारी’ बताया गया था. उन्होंने 23 अगस्त को रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद के लिए ‘प्राइमरी’ की बहस के बाद काफी ध्यान आकर्षित किया है. बहस के बाद पहले सर्वेक्षण में कहा गया कि 504 उत्तरदाताओं में से 28 प्रतिशत ने कहा कि रामास्वामी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया.
(इनपुट - भाषा)