Fidel Castro Assassination Attempts: यकीन करना मुश्किल है कि लेकिन ये बात सच है कि दुनिया में कोई ऐसा भी था जिसे 600 से ज्यादा बार जान से मारने की कोशिश की गई लेकिन वह हर बार बच गया. ये हमले किसी आम आदमी पर नहीं बल्कि अमेरिका (US) के पड़ोसी क्यूबा (Cuba) पर दशकों तक शासन करने वाले कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) पर हुए थे. सोवियत रूस (USSR) के साथ फिदेल कास्त्रो और क्यूबा की दोस्ती अमेरिका को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी. फिदेल कास्त्रो के सत्ता पर काबिज होने के बाद अमेरिका क्यूबा को एक सुरक्षा खतरे के तौर पर देखने लगा था. माना जाता है कि इसीलिए फिदेल कास्त्रो को रास्ते से हटाने के लिए अमेरिकी ने अपनी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) को उसके पीछे लगा दिया था. आइए जानते हैं कि फिदेल कास्त्रो और अमेरिका की दुश्मनी का ये पूरा मामला क्या था?


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फिदेल कास्त्रो को क्यों दुश्मन मानता था अमेरिका?


सोवियत संघ के साथ क्यूबा का गठबंधन ही सबसे बड़ा कारण था कि अमेरिका फिदेल कास्त्रो को सुरक्षा खतरा मानता था. हालांकि, अमेरिका का ये डर 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान काफी हद तक सही भी साबित हुआ था. दूसरा बड़ा कारण था कि फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा और अन्य लोगों ने पूरे लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में क्रांति का समर्थन किया था और उसे बढ़ावा दिया था. जबकि अमेरिका इसका विरोध करता था.


600 जानलेवा हमलों में बचे फिदेल कास्त्रो


क्यूब के अधिकारियों का दावा है कि फिदेल कास्त्रो को मारने के लिए उनपर 600 से ज्यादा बार जानलेवा हमला किया गया, लेकिन वो हर बार बच गए. इसका कोई सबूत तो नहीं है लेकिन दावा किया जाता है कि सीआईए ने विस्फोटक सिगार का इस्तेमाल करके भी फिदेल कास्त्रो को मारने की कोशिश की थी. फिदेल कास्त्रो को सिगार बहुत पसंद था और सिगार के जरिए ही उन्हें मारने की कोशिश की गई थी. ये भी बताया जाता है कि एक साजिश में 1960 में क्यूबा में तानाशाही को खत्म करने के लिए सीआईए ने माफिया के साथ साझेदारी कर ली थी. हालांकि, तब भी उन्हें फिदेल कास्त्रो को रास्ते से हटाने में कामयाबी नहीं मिली थी.


शुरुआत में अमेरिका नहीं था दुश्मन?


गौरतलब है कि 1959 में जब फिदेल कास्त्रो क्यूबा की सत्ता पर काबिज हुआ था उस वक्त अमेरिका, क्यूबा को एक सुरक्षा खतरे के तौर पर नहीं देखता था. कांग्रेस की लाइब्रेरी में फिलिप बोन्सल के दस्तावेज हैं, जिनसे पता चलता है कि कास्त्रो के शासन के शुरुआती दो साल में क्यूबा में अमेरिकी राजदूत थे. हालांकि, अमेरिकी क्यूबा में रहकर लगातार ये मालूम करने की कोशिश कर रहे थे कि फिदेल कास्त्रो अपनी नई ताकत के साथ साथ क्या करना चाहते थे.