Nepal Plane Crash Horrific History: नेपाल में बुधवार की सुबह काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद ही एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान में सवार 18 लोगों की मौत हो गई. सिर्फ एक पायलट की जान बच सकी. नेपाल में विमान हादसे पहले भी हो चुके हैं, पहाड़ों और मौसम की वजह से यहां उड़ान भरना मुश्किल होता है. काठमांडू एयरपोर्ट काफी पुराना है और यहां हादसों का इतिहास भी पुराना है. बुधवार को हुए हादसे ने त्रिभुवन एयरपोर्ट पर हुए अन्य हादसों की भयावह यादों को ताजा कर दिया.


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18 लोगों की दर्दनाक मौत


नेपाल में बुधवार की सुबह काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद 19 यात्रियों वाला एक विमान हादसे का शिकार हो गया. हादसे में 18 लोगों की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर नेपाल के खराब एविएशन सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है.


कैसे हुआ हादसा..


पहले आपको बुधवार के हादसे के बारे में बताते हैं. विमान पोखरा के लिए जा रहा था, जो राजधानी काठमांडू से 150 किलोमीटर पूर्व में है. रनवे के दक्षिणी छोर से उड़ान भरते समय विमान का विंग टिप जमीन से टकराने के साथ अचानक पलट गया. जिसके तुरंत बाद विमान में आग लग गई. आग का गोला बना विमान जेट रनवे के पूर्वी तरफ एक खाई में जा गिरा.


हादसे का खौफनाक वीडियो आया सामने



काठमांडू का एयरपोर्ट सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं


नेपाल में पहाड़ों और खराब मौसम की वजह से विमान हादसे कई बार हो चुके हैं. ये हादसा भी उसी का नतीजा है. सिर्फ इतना ही नहीं, काठमांडू का एयरपोर्ट भी सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं माना जाता है. इसकी बनावट और आसपास का इलाका हवाई जहाजों के उतरने-उड़ने के लिए मुश्किल पैदा करता है.


नेपाल की सभी विमान कंपनियों पर लगाना पड़ा बैन


आपको बता दें कि साल 2013 में यूरोपियन कमीशन ने सुरक्षा कारणों से नेपाल की सभी विमान कंपनियों पर पाबंदी लगा दी थी, जो आज भी जारी है. नेपाल अपने खूबसूरत हिमालयी इलाके के लिए जाना जाता है, लेकिन वही पहाड़ी इलाका विमान उड़ाने वाले पायलटों के लिए चुनौती भी बन जाता है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और गहरी घाटियां पायलटों के लिए खास परेशानी खड़ी करती हैं.


नेपाल में तेजी से बदलता है मौसम


नेपाल में मौसम भी बहुत तेजी से बदलता रहता है, हवा की दिशा और रफ्तार अचानक बदलने से विमान को काबू में रखना मुश्किल हो जाता है. ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से हवा भी पतली हो जाती है, जिससे कुछ विमानों के इंजन जरूरी उड़ान भरने की ताकत नहीं जुटा पाते.


काठमांडू एयरपोर्ट की खामियां


काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा सुरक्षित नहीं माना जाता है. यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं. एयरपोर्ट शहर के बीचों बीच है, जो पहाड़ों से घिरे होने के कारण सही जगह नहीं है. हालांकि आसपास का इलाका समतल है इसीलिए इसे एयरपोर्ट बनाने के लिए चुना गया होगा. फिर भी इसकी रनवे 3000 मीटर से ज्यादा लंबी है जो ज्यादातर विमानों के लिए काफी है. काठमांडू एयरपोर्ट एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होने के बावजूद बहुत बड़ा नहीं है और इसका सिर्फ एक ही रनवे है. कई बार विमानों के लिए रनवे कम पड़ जाता है. एक वेबसाइट के मुताबिक काठमांडू एयरपोर्ट पर लंबी लाइन, खराब सुविधाएं और गंदगी आम बात है. एयरपोर्ट के बीचों बीच होने की वजह से इसे बड़ा करना भी मुश्किल है.


नेपाल में विमान हादसों का पुराना इतिहास


-नेपाल का विमानन सुरक्षा रिकॉर्ड कई सालों से यात्रियों और नियम बनाने वालों के लिए चिंता का विषय रहा है. इतना ही नहीं साल 2013 में यूरोपियन कमीशन ने सुरक्षा कारणों से नेपाल की सभी विमान कंपनियों पर यूरोप में उड़ान भरने पर रोक लगा दी थी, जो आज भी जारी है.


-अब आपको नेपाल में विमान हादसों के भयावह इतिहास के बारे में बताते हैं. जनवरी 2023 में पोखरा में उतरते समय एक दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में सवार सभी 72 लोग मारे गए.


-नेपाली टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1962 और जनवरी 2023 के बीच हिमालयी देश में 72 घातक हवाई हादसे हुए. इन हादसों में 935 लोगों की जान गई.


-नेपाल के विमान हादसों में सबसे घातक 1992 का थाई एयरवेज इंटरनेशनल विमान हादसा था. थाई एयरवेज का विमान काठमांडू आने पर एक पहाड़ से टकरा गया था, जिसमें विमान में सवार सभी 113 लोग मारे गए थे.


-रनवे से विमानों के फिसलने से लेकर कोहरे से संबंधित घटनाओं तक, काठमांडू हवाई अड्डे पर 20 से अधिक बड़ी और छोटी विमान दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है.


-आंकड़ों के अनुसार नवंबर 1960 से मई 2022 के बीच नेपाल में कुल 106 विमान हादसे हुए हैं. इन हादसों में 590 लोगों ने जान गंवाई है. इनमें से कई हादसे डबल इंजन वाले विमानों से संबंधित थीं, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर नेपाल में दूरदराज के हवाई पट्टियों तक पहुंचने के लिए किया जाता है.