डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग उन से दूसरी बातचीत के लिए वियतनाम को ही क्यों चुना? ये हैं खास वजहें...
दक्षिण कोरिया की मीडिया का भी कहना है कि किम जोंग उन भी व्यक्तिगत रूप से वियतनाम के दुनियाभर में आर्थिक एवं सामाजिक उभार से काफी प्रभावित हैं.
नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग उन के बीच दूसरी वार्ता वियतनाम में होने का ऐलान होते हुए इस कम्युनिस्ट देश पर दुनियाभर की निगाहें आ टिकी हैं. वियतनाम ने दोनों ताकतवर नेताओं के बीच दूसरी शिखर वार्ता के लिए जगह के तौर पर अपना देश को चुने जाने पर प्रतिक्रिया दी है और इसका का स्वागत भी किया है. मेजबान देश ने बुधवार को फैसले का स्वागत किया और बैठक को सफल बनाने की कसम भी खाई.
वियतनाम का यह है रुख
वियतनाम के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ली थी थू हंग ने अपनी प्रतिक्रिया में पत्रकारों के सवालों के जवाब कहा कि 'वियतनाम बातचीत के जरिये शांति लाने की पेशकश का पुरजोर स्वागत करता है. साथ ही कोरियाई प्रायद्वीप में सुरक्षा और स्थिरता की प्रतिबद्धता को भी दोहराता है'. उन्होंने आगे कहा, 'वियतनाम अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत में सहयोग के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाएगा, ताकि वार्ता के लिए तय उद्देश्य को पूरा किया जा सके'.
तो इसलिए वार्ता वियतनाम में होना तय हुई
दरअसल, दोनों नेताओं के बीच पहली शिखर वार्ता सिंगापुर में ही हुई थी. सिंगापुर की ही तरह वियतनाम के भी अमेरिका और उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंध हैं. उत्तर कोरिया का हनोई में एक उच्चायोग है और हालिया सामने आई एक रपट से भी पता चला है कि किम वियतनाम के आर्थिक और राजनीतिक मॉडल को अपनाने में काफी दिलचस्पी रखते हैं.
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नॉर्थ कोरिया और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध रहे हैं
पिछले साल नवंबर के महीने में उत्तर कोरियाई दल अपने विदेश मंत्री के नेतृत्व में हनोई गया था. इस प्रतिनिधिमंडल ने इस दल ने वियतनाम सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी वियतनाम से कोरियाई प्रायद्वीप में आ रहे सकारात्मक बदलावों पर खुशी जताई थी. नॉर्थ कोरिया ने सामाजिक-आर्थिक विकास के अनुभवों को उनसे साझा करने की बात कही थी. खास बात यह भी है कि सन 1950 से ही नॉर्थ कोरिया और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध रहे हैं. हालांकि बीच-बीच में दोनों मुल्कों के बीच व्यापार के कई पहलुओं पर मतभेद भी हुए, लेकिन वियतनाम ने दोनों देशों के बीच संबंधों को कोई बड़ा झटका नहीं लगने दिया.
वियतनाम के आर्थिक उभार से प्रभावित हैं किम
दक्षिण कोरिया की मीडिया का भी कहना है कि किम जोंग उन भी व्यक्तिगत रूप से वियतनाम के दुनियाभर में आर्थिक एवं सामाजिक उभार से काफी प्रभावित हैं. जब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ इन और उत्तर कोरियाई नेता के बीच मुलाकात हुई थी तो उन्होंने चीन के बजाए वियतनाम के आर्थिक मॉडल की तारीफ की थी.
वियतनाम डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक सुरक्षित ठिकाना भी है
इस मुलाकात के लिए एक जरूरी बात यह भी कही जा रही है वियतनाम डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक सुरक्षित ठिकाना भी है, क्योंकि बीते कुछ सालों में अमेरिका-वियतनाम के संबंध काफी सुधरे हैं. वियतनाम की सरकार के कई अधिकारियों ने ट्रंप और उनके पहले राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा के साथ भी कई बार बातचीत की हैं. मई 2017 में खुद ट्रंप ने वियतनाम के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था. इसके बाद साल के अंत में ट्रंप भी वियतनाम गए थे. दोनों देशों के बीच काफी अहम व्यापारिक संबंध भी हैं, जोकि अमेरिका-चीन की कारोबारी खींचतान के इस दौर में और भी अहम हो जाते हैं.
पिछले साल सिंगापुर में हुई थी पहली मुलाकात
उल्लेखनीय है कि अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के शीर्ष नेताओं के बीच पहली मुलाकात पिछले साल जून में सिंगापुर में हुई थी, जहां उन्होंने चार सूत्रीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कोरियाई प्रायद्वीप में पूर्ण रूप से परमाणु निरस्त्रीकरण और सुरक्षा की गारंटी को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई थी, लेकिन इस ऐतिहासिक बैठक में किए गए समझौतों का कार्यान्वयन तब से धीमा है.
ट्रंप ने खुद किया ऐलान, वियतनाम में होगी वार्ता
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन के दौरान उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ होने वाली अपनी दूसरी मुलाकात के स्थान और तारीख की घोषणा कर दी थी. उनकी किम के साथ उनकी दूसरी शिखर वार्ता 27 और 28 फरवरी को वियतनाम में होगी. लेकिन यह अभी तक साफ नहीं है कि दोनों शीर्ष नेताओं की यह वार्ता वियतनाम के किस शहर में होगी? हालांकि यह चर्चा है कि दोनों नेता वियतनाम की राजधानी हनोई या तटीय शहर दा नांग में मिलेंगे.