दुनिया के सबसे महंगे शहर हांगकांग में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी की घोषणा की है. हालांकि, इस फैसले को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि ये बहुत कम है. पैसों के बढ़ने के बावजूद वहां के लोगों को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हांगकांग में न्यूनतम मजदूरी में 2.50 हांगकांग डॉलर यानी 32 सेंट की बढ़ोतरी की गई है. इस बढ़ोतरी से शहर का न्यूनतम वेतन 40 हांगकांग डॉलर (5.10 अमेरिकी डॉलर) प्रति घंटा हो गया है.


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हांगकांग सरकार द्वारा की गई औसतन 6.25 प्रतिशत की ये वृद्धि करीब चार साल के बाद आई है. धर्मार्थ संगठन ऑक्सफैम में हांगकांग, मकाऊ और ताइवान कार्यक्रम के निदेशक वोंग शेक-हंग ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है. इससे हांगकांग के लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होंगी.


CNN के मुताबिक, शहर की अर्थव्यवस्था पर COVID-19 महामारी का गहरा प्रभाव पड़ा था और इस वजह से 2021 में हांगकांग में न्यूनतम वेतन एक ही स्तर पर रुक गया था. उस समय के अधिकारियों ने तर्क दिया था कि वेतन वृद्धि से उद्यमों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा और कम वेतन वाली नौकरियों का नुकसान हो सकता है. हालांकि, वोंग का तर्क है कि यह वृद्धि हांगकांग में कम वेतन वाले श्रमिकों के लिए लाभदायक नहीं होगी.


शहर में रहने पर खर्च होने वाले लागत की समस्या अभी भी बनी हुई है. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि शहर में कम वेतन वाले श्रमिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ये बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है.' ऑक्सफैम ने चिंता व्यक्त की है कि हांगकांग के न्यूनतम वेतन में हाल ही में की गई वृद्धि शहर के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के माध्यम से दो लोगों के एक परिवार को मिलने वाली मजदूरी से अभी भी कम है.


ऑक्सफैम ने सरकार से न्यूनतम वेतन बढ़ाकर कम से कम 45.4 हांगकांग डॉलर (5.78 अमेरिकी डॉलर) प्रति घंटा करने का आह्वान किया है. संगठन ने न्यूनतम वेतन में हालिया वृद्धि को "लगभग नगण्य" बताया है और सरकार से हांगकांग में कम वेतन वाले श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है.


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