महाशिवरात्रि 11 मार्च को, जानिए कब और कैसे करें महादेव की पूजा
वसंत ऋतु की बहारों के बीच फाल्गुन मास के समय में शिवरात्रि का विशेष व्रत किया जाता है. जब भोले के भक्त सिर्फ उनकी भक्ति में मस्त और लीन रहते हैं. महाशिवरात्रि व्रत कब मनाया जाए इसके लिए शास्त्रों के अनुसार नियम तय किए गए हैं.
नई दिल्लीः शिव ही शक्ति, शिव ही पूजा, शिव के बिना नहीं कोई दूजा. भगवान शिव की वंदना के लिए यह भजन तो आपने सुना ही होगा. वास्तव में देवों के देव महादेव सृष्टि के आधार हैं. वह भले ही तीसरा नेत्र खोलकर प्रलय ला देने वाले और सब कुछ विनाश कर देने वाली ईश्वरीय शक्ति के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन उनका वास्तविक सत्य इससे बहुत ही परे है.
वह विनाशक नहीं बल्कि विकास के वाहक हैं. लेकिन जब सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगता है और विकास का कोई मार्ग नहीं बचता है, तब शिव इसे नष्ट करके फिर से सृष्टि को पनपने की स्थिति में लाते हैं.
11 मार्च को करें शिवरात्रि व्रत
यह कार्य देखने-सुनने में जितना दैवीय लगता है, उससे कहीं अधिक यह जिम्मेदारी भरा कर्तव्य है. इसे निभाने के लिए कभी शिव को विष पीना पड़ता है, कभी अपने ही पुत्र का शीष काटना पड़ जाता है तो कभी-कभी अपनी पत्नी का शव लेकर संसार भर में भटकना पड़ता है.
संसार के प्रति महादेव के इन्हीं त्याग का आभार जताने का दिन है महाशिवरात्रि पर्व. आने वाले 11 मार्च की तारीख को जब कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि का संयोग होगा तब महादेव का परम प्रिय व्रत शिवरात्रि व्रत रखा जाएगा.
जानिए, शिवरात्रि मनाने का उचित दिन
वसंत ऋतु की बहारों के बीच फाल्गुन मास की अल्हड़ समय में शिवरात्रि का विशेष व्रत किया जाता है. जब भोले के भक्त सिर्फ उनकी भक्ति में मस्त और लीन रहते हैं. महाशिवरात्रि व्रत कब मनाया जाए इसके लिए शास्त्रों के अनुसार नियम तय किए गए हैं. इसके अनुसार चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथ के साथ लगती हो तो उसी दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है.
इसे ऐसे समझें कि रात का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. जब चतुर्दशी तिथि शुरू हो और रात का आठवां मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा हो, तो उसी दिन शिवरात्रि मनानी चाहिए.
इसके अलावा चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथकाल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ रहे तो पहले दिन ही महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाना चाहिए. उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाकी हर स्थिति में व्रत अगले दिन ही किया जाता है.
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ऐसे करें महादेव की पूजा
महादेव की पूजा करना सबसे सरल है. वह केवल भावनाओं के भूखे हैं. सच्चे मन से उन्हें जो भी याद करे शिव उस पर प्रसन्न रहते हैं.
मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भर लें.
इसके ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, अक्षत (चावल) आदि डालकर शिवमंदिर में जाएं और ‘शिवलिंग’ पर अर्पित करें.
अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए.
शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप जरूर करें. सुविधानुसार माला पर भी जप कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है. महादेव के भजनों के साथ जागरण करें.
शास्त्रीय विधि-विधान को मानें तो शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सबसे उत्तम है.
भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार कभी भी उनका पूजन कर सकते हैं.
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