आज के पंचाग में जानिए वरद चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और गणेश पूजन की विधि
Aaj Ka Panchang: आज वरद चतुर्थी है. इसे वरद, विनायक या तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है. इस व्रत पर भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इनके साथ ही कुछ ग्रंथों में चतुर्थी देवी की पूजा करने का भी विधान बताया गया है. चतुर्थी व्रत परिवार और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है.
नई दिल्लीः Aaj Ka Panchang: आज (रविवार, 3 जुलाई) वरद चतुर्थी है. इसे वरद, विनायक या तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है. इस व्रत पर भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इनके साथ ही कुछ ग्रंथों में चतुर्थी देवी की पूजा करने का भी विधान बताया गया है. चतुर्थी व्रत परिवार और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है.
दोपहर में होती है गणेश जी की पूजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी व्रत के प्रभाव से हर तरह की परेशानियां दूर होती है. इस दिन व्रत के साथ ही भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है. शिव पुराण के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए यहां दोपहर में भगवान गणेश की पूजा प्रचलित है. शाम को गणेश पूजा के बाद चंद्र पूजा और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलने की परंपरा है.
भगवान गणेश हर तरह के कष्ट को हरने वाले और कामकाज में आने वाली रुकावटों को दूर करने वाले हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. भगवान गणेश सुख प्रदान करने वाले हैं. इसलिए यह व्रत रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं.
जानिए वरद चतुर्थी पर गणेश पूजन की विधि
- विनायक चतुर्थी में भगवान गणेश का नाम लेकर ही व्रत की शुरुआत की जाती है.
- इस दिन सिर्फ जमीन के अंदर उगने वाले फल या फसल और पौधों के भाग के साथ ही वनस्पति का सेवन किया जाता है.
- व्रत में गणपति पूजन के बाद के बाद चंद्र दर्शन करें और उसके बाद ही उपवास खोलें.
- इस व्रत के बारे में ग्रंथों में लिखा है कि यदि इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा और व्रत किया जाता है तो गणेशजी हर तरह के संकट हर लेते हैं.
- यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय तक चलता है. हालांकि, शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद एक बार भोजन किया जाता है.
आज का पंचांग
आषाढ़ - शुक्ल पक्ष - चतुर्थी तिथि - रविवार
नक्षत्र - अश्लेषा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - वज्र योग
चन्द्रमा का कर्क के उपरांत सिंह राशि पर 6:29 से संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 12.04 बजे से 12.57 बजे तक
राहु काल - 05.32 बजे से 07.12 बजे तक
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
नारियल की जटा पर सात कौड़ी सात उडहुल के पुष्प थोड़ा सा अक्षत और एक सिक्का रखकर उसके समक्ष एक कपूर की टिकिया जलाते हुए उसे पानी में प्रवाहित कर दें.
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