नई दिल्ली. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में व्यक्ति के वैवाहित जीवन को सरल बनाने के लिए कई अहम बाते बताई हैं. उन्होंने जीवन की छोटी-बड़ी हर समस्या का समाधान अपनी नीतियों में बताया है. चाणक्य नीति के अनुसार, कुछ भी करने से पहले मनुष्य के लिए आवश्यक है कि उसे इस बात का ज्ञान हो कि वह कार्य करने योग्य है या नहीं और उसका परिणाम क्या होगा.


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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देने और व्यभिचारिणी स्त्री का पालन पोषण करने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट उठाना पड़ सकता है. चाणक्य नीति के अनुसार, कठोर वटन बोलने वाली स्त्री, दुष्ट स्वभाव वाला मित्र और ऐसे घर में रहना जहां सांप के होने की संभावनों हो, ये सब बातें मृत्यू के सामान हैं.


घर में हो एसी स्त्री तो...
चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में दुस्ट स्त्रियां होती हैं, वहां के मालिक की स्थिति किसी मृतक क समान ही हो जाती है. आसी स्त्री पर उसका कोई वश नहीं चलता और वह भीतर ही भीतर घुटता हुआ मृत्यु की ओर बढ़ता जाता है. वहीं, दुष्ट स्वभाव का मित्र भी विश्वास के योग्य नहीं होता. आचार्य कहते हैं कि उस मित्र का कोई भरोसा नहीं होता की वह आपको कब धोखा दे दे.


धन और स्त्री से पहले करें अपनी रक्षा
चाणक्या नीति में कहा गया है कि बुद्धिमान व्यक्ति को बुरे समय के लिए थोड़ा धन अवश्य बचाकर रखना चाहिए. इसके अलावा समय पड़ने पर धन खर्च करके भी पत्नी की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे अवसर आते हैं जहां धन काम नहीं आता, वहां पत्नी ही काम आती है. आचार्य चाणक्य का यह भी मानना है कि धन और स्त्री से भी अधिक अपनी रक्षा करनी चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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