Vastu Tips: नया घर खरीदते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जीवन होगा वैभवशाली

Vastu Tips: जब कोई नया घर लेने या बनवाने की सोचता है, तो उसकी एक ही तमन्ना होती है कि उसका घर वास्तु के अनुरूप हो ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे. इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 17, 2022, 10:39 AM IST
  • जानें नए घर के लिए कैसे करें वास्तु उपाय
  • दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार, ऐसे करें वास्तु उपाय
Vastu Tips: नया घर खरीदते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जीवन होगा वैभवशाली

नई दिल्ली: जब कोई नया घर लेने या बनवाने की सोचता है, तो उसकी एक ही तमन्ना होती है कि उसका घर वास्तु के अनुरूप हो ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे. इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो. इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है, लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से डरते हैं. यही कारण है कि दक्षिणमुखी मकान और जमीन को जल्दी कोई ग्राहक नहीं मिलता है.

इसका कारण यह है दक्षिण मुखी घर को लेकर ऐसी भ्रांति है कि ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति को कष्ट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे घर में रहने पर किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है. जबकि वास्तुशास्त्री कहते हैं कि दक्षिण दिशा में मुख वाला घर अगर वास्तु अनुकूल बना हो तो दूसरी दिशाओं की तुलना में ऐसे घर में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा यश और मान-सम्मान पाते हैं. ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन वैभवशाली होता है.

घर का मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए. दक्षिण पश्चिम में मुख्य द्वार बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इस स्थिति में घर वास्तु के अनुरूप कभी नहीं हो सकता. दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में और पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए.

किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक जैसे फ्रैश वाटर टैंक, बोरिंग, कुंआ, इत्यादि केवल उत्तर दिशा, उत्तर ईशान, पूर्व ईशान व पूर्व दिशा के बीच ही कम्पाउंड वॉल के साथ हो इसका ध्यान रखें. सैप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएं. उत्तर पूर्व कोण कटा हुआ, गोल, ऊंचा नहीं होना चाहिए और नैऋत्य कोण किसी भी तरह से बढ़ा हुआ या नीचा नही होना चाहिए.

भवन के किसी भी हिस्से का फर्श ऊंचा नीचा नहीं होना चाहिए. यदि साफ-सफाई के लिए थोड़ी ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ढाल दे सकते है. इसी प्रकार प्लॉट के खुले भाग की ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर ही दें ताकि बरसात का पानी ईशान कोण से होकर ही बाहर निकले.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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