नई दिल्लीः Devshayani Ekadashi 2022: आज (10 जुलाई) आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. इसे हरिशयनी एकादशी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है. चार माह तक भगवान विष्णु निद्रासन में चले जाते हैं, जिसके कारण चार महीने तक मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है.


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चार मास तक विश्राम करेंगे भगवान विष्णु
आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी यानी चार मास तक सृष्टि के पालन का भार उठा रहे नारायण विश्राम में जाएंगे. इसे योगनिद्रा कहते हैं. योगनिद्रा की अवधि चतुर्मास के नाम से जानी जाती है. चतुर्मास तीर्थों के सेवन का अवसर है. आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी हरिशयनी एकादशी या देवशयनी एकादशी कहलाती है.


चार महीने बाद देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को भगवान विष्णु शयन निद्रा से उठते हैं. देवशयनी एकादशी से शुभ कार्य के लिए मनाही हो जाती है. इस दौरान कोई भी शुभ नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि वह कार्य फलित नहीं होंगे.


आज का पंचांग
आषाढ़ - शुक्ल पक्ष - एकादशी तिथि - रविवार
नक्षत्र - विशाखा नक्षत्र 
महत्वपूर्ण योग- शुभ योग 
चंद्रमा का वृश्चिक राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - रवि योग प्रातः 9.54 बजे तक
राहु काल - 05.32 बजे से 07.12 बजे तक


त्योहार- आषाढ़ एकादशी, देवशयनी एकादशी


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज सायंकाल नदी के किनारे पांच मिट्टी के छोटे-छोटे पात्र में गाय का कच्चा दूध और उसमें ऊपर से धागे वाली मिश्री को डालकर सभी पर सिंदूर अथवा रोली को छिड़क कर दें. सभी के सामने एक कपूर की टिकिया जलाकर अपनी मनोकामना का स्मरण करें. लौटते समय मुड़कर नहीं देखना है.


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