नई दिल्ली: Vastu Dosh Upay: यदि आपके घर में कोई न कोई व्यक्ति बीमार रहता है. तो इसका कारण वास्तु शास्त्र के अनुरूप घर की संरचना न होना हो सकता है. यदि आप निरोग और स्वस्थ रहना चाहते है तो अपने घर का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुरूप करवाएं. क्योंकि ज्योतिषशास्त्र की ही भांति वास्तुशास्त्र में भी घर के वास्तु से जुड़े हुए कुछ दोषों के बारे बताया गया है.
जिससे व्यक्ति की सेहत खराब हो सकती है. लेकिन वास्तु शास्त्र में दोषों के साथ इनके निवारण हेतु वास्तु टिप्स भी दिए गये हैं. जिनका ध्यान रखकर आप निरोग पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं.
पूर्व दिशा
- यदि आपके घर की पूर्व दिशा का स्थान अन्य दिशाओं से ऊंचा है. इस दिशा का स्थान ऊंचा होने से आर्थिक परेशानियां उत्पन्न होती है, बच्चे अधिक समय अस्वस्थ रहते हैं, उनका पढाई में मन नहीं लगता, उनकी स्मरण शक्ति क्षीण होने लगती है, उन्हें पेट से सम्बन्धित रोग हो सकते हैं.
- यदि आपके घर की पूर्व दिशा में खाली तथा खुला स्थान नहीं है और आपके आपके घर के बरामदे का ढलान पश्चिम दिशा की ओर है तो इससे आपके घर के मुखिया को आंख से सम्बंधित रोग, स्नायु या हृदय रोग होने की सम्भावना रहती है.
- अगर आपके घर के पूर्व कोण की ओर गंदगी, कूड़ा-करकट, गंदगी एवं पत्थरों का ढेर पड़ा हुआ है तो आपके घर की मुख्य महिला को हानी हो सकती है.
- अगर आपके घर की पूर्व दिशा की दीवार की ऊंचाई पश्चिम दिशा की ऊंचाई से अधिक हो तो आपके संतान की सेहत अधिकतर समय खराब रहती है.
- यदि आपने घर की इस दिशा में शौचालय बना रखा है तो इससे आपके घर की बेटियां अस्वस्थ रहती हैं.
उपाय
इस दिशा के दोषों को दोषमुक्त करने के लिए इस दिशा में आप नल, हैंडपंप तथा पानी की टंकी की व्यवस्था कर सकते हैं. इसके अलावा यदि आप इस दिशा को हमेशा साफ रखें और इस दिशा के भूक्षेत्र को थोडा नीचे करवा दें. तो ये सभी दोष खत्म हो जायेंगे और आपको इस दिशा के शुभ प्रभाव प्राप्त होंगे.
पश्चिम दिशा
- पश्चिम दिशा का प्रतिनिधि ग्रह शनि हैं. इस दिशा को काल पुरुष का पेट, गुप्तांग तथा प्रजनन अंग माना जाता है.
- घर की पश्चिम दिशा के नीचे यदि खाली स्थान है तो इस दिशा का प्रभाव गृहस्वामी की सेहत पर पड़ता है. उसे गले, गाल ब्लैडर के रोग हो सकते हैं तथा इसी दिशा के कारण उसकी कम आयु में मृत्यु होने की ही सम्भावना बनती है.
- यदि आपने अपने घर में चबूतरा बना रखा हैं और वह चबूतरा पश्चिम दिशा की ओर से नीचे है तो आपको फेफड़े, मुंह, छाती तथा त्वचा से जुड़े रोग हो सकते हैं.
- पश्चिम दिशा का स्थान हमेशा ऊंचा होना चाहिए. यदि इस दिशा का स्थान नीचे की ओर हैं तो इससे घर के बच्चों को गंभीर बीमारियां हो जाती हैं और इस बीमारी पर धन का व्यय भी अधिक होता है.
- यदि आपके घर में जल निकासी की व्यवस्था पश्चिम दिशा की ओर से है तो आपके घर के मुखिया गम्भीर बीमारी से लम्बे समय तक पीड़ित रहते हैं.
- अगर आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवारों में सीलन या दरार आ गई है. इसका प्रभाव भी गृह मुखिया पर पड़ता हैं और उसे गुप्तांग से जुडी हुई बीमारियां हो जाती हैं.
- यदि आपने अपने घर में रसोईघर का निर्माण पश्चिम दिशा में करवाया है. तो इससे आपके घर के किसी भी सदस्य को गर्मी, पित्त, फोड़े-फुंसी तथा मस्सों से जुडी हुई परेशानियां हो सकती है.
उपाय
इस दिशा के बुरे प्रभावों से बचने के लिए इस दिशा की दीवार को थोडा ऊंचा करवा दें या घर के बाहर इसी दिशा में अशोक के पेड़ लगायें.
उत्तर दिशा
- उत्तर दिशा का कारक ग्रह बुध है. इस दिशा को काल पुरुष का हृदय माना जाता है.
- यदि इस दिशा में बनी हुई दीवारें अधिक ऊंची हैं और इस स्थान में चबूतरा बना हुआ है. तो आपके घर के लोगों को गुर्दे, कान, रक्त की बीमारियां हो सकती हैं. इसके साथ ही आपको घर में आलस, थकावट तथा घुटन महसूस होती है.
- अगर आपके घर की यह दिशा सही वास्तु से नहीं बनी है तो इससे आपके घर की स्त्रियों की सेहत खराब रहती हैं.
उपाय
उत्तर दिशा के हानिकारक वास्तु दोष के प्रभावों से बचने एक लिए बरामदे की ओर अपने घर के चबूतरे की ढाल रखें. इससे आपके घर की महिलाएं स्वस्थ और निरोग रहेंगी. इसके साथ ही आपको धन के अधिक व्यय का सामना नहीं करना पड़ेगा और आपके घर पर से अकाल मृत्यु होने का खतरा भी टल जायेगा. इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त रखने के लिए आप अपने घर के मुख्य द्वार का रंग हरा करवा सकते हैं.
दक्षिण दिशा
- दक्षिण दिशा पर मंगल ग्रह का ही अधिक प्रभाव रहता है. क्योंकि इस दिशा का प्रमुख ग्रह मंगल है. यह स्थान काल पुरुष का बायीं और के सीने, फेफडे, गुर्दे का माना जाता है.
- इस दिशा में यदि कूड़ा, टूटा और फूटा हुआ सामान, कोई पुरानी चीज रखी हुई है. तो घर की महिला को हृदय रोग, घुटने का दर्द, खून की कमी, पीलिया तथा नेत्रों से जुड़ी हुई बीमारियां हो सकती है.
- अगर भवन की दक्षिण दिशा का स्थान नीचा है, उत्तर दिशा की तुलना में यह स्थान अधिक खुला और खाली है. तो इससे आपके घर के वृद्ध व्यक्तियों की सेहत खराब हो सकती है तथा उन्हें उच्च रक्तचाप, पाचन क्रिया की खराबी, खून की कमी, चंक मृत्यु या दुर्घटना का शिकार होने आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण दिशा में भूत दृ प्रेत निवास करते हैं. इसीलिए इस दिशा का कुछ स्थान थोडा खाली जरूर छोड़ना चाहिए. वरना इन बुरी शक्तियों का प्रभाव भी घर पर तथा सदस्यों पर पड़ सकता है.
- अगर आपके घर का मुख दक्षिण दिशा की ओर है, लेकिन आपने अपने घर का मुख्य द्वार नैऋत्य कोण की ओर बनवा रखा है. तो इससे आपके घर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी होती है. जिनसे आपके घर के सदस्य बीमार रहते है और आपको धन से जुडी हुई हानि का सामना करना पड़ता है.
उपाय
इस दिशा के कुप्रभावों को दूर करने के लिए आप घर की दक्षिण दिशा की दीवार को ऊंचा कर सकते है और अपने घर के प्रवेश द्वार के अंदर और बाहर दक्षिणावर्ती सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित कर सकते है. इस दोनों ही उपायों से घर पर से इस दिशा के बुरे प्रभाव समाप्त हो जायेंगे.
(डिसक्लेमर: वास्तुदोष संबंधी ये टिप्स मान्यताओं पर आधारित हैं. ज़ी हिन्दुस्तान इन बातों की पुष्टि नहीं करता है.)
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