नई दिल्ली: देव दीपावली का पावन पर्व काशी में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गंगा नदी के किनारे घाटों पर लाखों की संख्या में दीये जलाकर देवी-देवताओं का स्वागत एवं पूजन किया जाता है. देव दीपावली वाले दिन जिस समय गंगा के घाटों पर दीपदान होता है, उसे देखकर मानों ऐसा लगता है कि पूरा देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो. इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए लोग यहां पर देश-विदेश से पहुंचते हैं.


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मान्यता है कि देव दीपावली पर्व को मनाने के लिए सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतर कर आते हैं. प्राचीन नगरी काशी में इन देवी-देवताओं के स्वागत में लोग लाखों की संख्या में दीये जलाकर यह पर्व मनाते हैं. देव दीपावली के दिन गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं. इसके साथ ही इस दिन दीपदान करने का भी विशेष महत्व होता है इससे देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि करते हैं.


देव दिवाली पर स्नान का महत्व
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता काशी जाते है और वहां ये त्योहार मनाते हैं. इस दिन शाम में गंगा मईया का पूजन और आरती की जाती है. इसके साथ ही गंगा घाटों पर दिए जलाए जाते है. सभी घाट दियों से रोशन होते है. कहा ये भी जाता है कि इस दिन दान-धर्म करने से अनंत फल मिलता है.


देव दीपावली पर दीप दान की परंपरा
देव दीपावली के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दीपदान करना शुभ होता है. मान्यता अनुसार, यह दीपदान नदी के किनारे किया जाता है. पौराणिक मान्यता और परंपरा के वजह से बनारस में गंगा नदी के किनारे व्यापक स्तर पर दीपदान किया जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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