नई दिल्ली: माताएं अपने संतान की खुशी और उनकी सलामती के लिए जितिया व्रत रखती हैं. संतान सुख और सलामती के लिए भी रखे जाने वाले व्रतों में से एक जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है. इसे जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. पूरा दिन निर्जल उपवास रहकर माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं.


जितिया व्रत पूजन की विधि


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- इस व्रत को रखने के लिए महिलाएं सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. पूजन के लिए कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें.
- आप चाहें तो मिट्टी या गाय के गोबर से बनी मूर्ति का भी उपयोग कर सकते हैं.
- इसके अलावा चील और सियरिन की मूर्ति बनाएं. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाएं.
- मीठे पूए और फल व मिठाई चढ़ाएं.
- देवी मां को 16 पेड़ा, 16 दूब की माला, 16 खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, 16 लौंग, 16 इलायची, 16 पान, 16 खड़ी सुपारी व श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
- अब जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहें या सुनें. ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होगी और वंश की वृद्धि होगी.


आवश्यक पूजन सामग्री


धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल, गाय के गोबर से बनी सियारिन और चील की प्रतिमा, जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा, मिट्टी के पात्र आदि. इस तरह से आप भी जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत के नाम से प्रचलित इस व्रत को उठा सकती हैं. इसके लिए कई सारी सावधानियों को भी बरतना जरूरी होता है. यदि कोई चूक हो जाए, तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. ऐसे में इस व्रत की काफी अधिक मान्यता है.


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