Karwa Chauth 2024: जानें करवा चौथ पर कब दिखेगा चांद, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2024: शादीशुदा महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. 20 अक्टूबर को देशभर में करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. आइए जानते हैं उस दिन चांद कितने बजे तक दिखेगा. 

Written by - Dr. Anish Vyas | Last Updated : Oct 16, 2024, 04:13 PM IST
  • करवा चौथ पर किस समय होंगे चंद्रमा के दर्शन
  • जानें करवा चौथ की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Karwa Chauth 2024: जानें करवा चौथ पर कब दिखेगा चांद, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली Karwa Chauth 2024: करवा चौथ व्रत का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पती की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन व्यतीपात योग कृत्तिका नक्षत्र और विष्टि, बव, बालव करण बन रहे हैं. साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे. इस संयोग में करवा माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी, और रिश्तों में मिठास बनी रहेगी. 

पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन सुखमय होने की कामना से महिलाएं इस व्रत के तहत पूरे दिन निर्जला रहती हैं यानि जल तक ग्रहण नहीं करती हैं. हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए काफी अहम स्थान रखता है. करवा चौथ व्रत का इंतजार महिलाएं अत्यंत बेसब्री से करती हैं. करवा चौथ उत्तर भारत के खास त्यौहारों में से एक है. जो खासतौर से विवाहित महिलाओं के लिए है. ये हिन्दू कैलेण्डर के कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को देखकर ही व्रत खोला जाता है. 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ये व्रत खासतौर से उत्तर भारत जैसे-पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार में ही किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश और शिव-पार्वतीजी के साथ करवा माता की पूजा खासतौर से की जाती है. करवा चौथ व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इसका कारण ये है कि इस दिन रात को चंद्रमा दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत की तरह ही करवा चौथ व्रत करने से भी पति को लंबी आयु प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है साथ ही व्रत करने वाली महिलाओं का अखंड सौभाग्य भी बना रहता है.

करवा चौथ पर बन रहा विशिष्ट संयोग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन व्यतीपात योग कृत्तिका नक्षत्र और विष्टि, बव, बालव करण बन रहे हैं. साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे. इस संयोग में करवा माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी, और रिश्तों में मिठास बनी रहेगी.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024 
चतुर्थी तिथि आरंभ- 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:46 मिनट से 
चतुर्थी तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 04:16 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा.

करवा चौथ पूजा मुहूर्त 
पूजा का मुहूर्त 20 अक्टूबर शाम 5:46 मिनट से शुरू होगा और शाम 7:02 मिनट पर समाप्त होगा. यानी कुल 1 घंटे 16 मिनट का मुहूर्त होगा. 

चंद्र दर्शन का समय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि वहीं ये भी मान्यता है कि कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. इस बार करवा चौथ को यानि रविवार 20 अक्टूबर को चांद रात 07:57 मिनट पर निकलेगा. ऐसे में इसी समय व्रती महिलाओं को चंद्र दर्शन हो सकता है. वहीं चंद्र दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत खोलेगी.

करवा चौथ का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है. इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती हैं और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है, इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है. इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है.

करवा चौथ व्रत की विधि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें. स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें. यह व्रत पूरे दिन निर्जला यानी बिना जल के किया जाता है. शाम को समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवाचौथ की कथा पढ़े. चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें. टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें. मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रुप में कुछ पैसे रख दें. एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें. चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें. सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें. श्रंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें. अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें. इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें. अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. पूजन की गई श्रंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें. 

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