नई दिल्ली: अभी तक आपने ग्रहों के बारे में सिर्फ यही सुना होगा कि कोई भी ग्रह, खराब भाव या दुष्ट ग्रह की संगत में होने पर ही अशुभ प्रभाव देता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि ग्रह अशुभ नक्षत्र में होने पर भी उतना ही खराब फल देता है, जितना कि खराब भाव या दुष्ट ग्रह की संगत में होने पर फल देगा. उदाहरण के लिए शुरुआत मूल दोष से करते हैं, जो कि आपने भी सुना होगा कि बच्चा अगर मूलों में हुआ है, तो वह अपने परिवार के लिए कष्टकारी होता है.


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चंद्रदोष
ज्योतिष अनुसार यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बुध के नक्षत्र(अश्लेशा, जेष्ठा, रेवती) या फिर केतु के नक्षत्र(अश्वनी, मघा, मूल) में हो, तो ऐसी जन्म कुंडली में मूल दोष कहा जाता है. इस दोष की वजह से जातक की माता को स्वास्थ्य कष्ट, पिता को आर्थिक कष्ट और मामा के परिवार में भी गंभीर कष्ट आते हैं. ऐसी ग्रह स्थिति को एक तरह से जातक की जन्म कुंडली में खराब चंद्रमा ही कहा जाता है. जिसके अन्य लक्ष्ण भी जैसे कि जातक के जीवन में धन और वैभव की कमी, पत्नी सुख की कमी, नौकरी, व्यापार में पैसा अटकने की समस्या आती है.


उपाय
इस दोष के लिए शांति उपचार की बात करें, तो ऐसे जातक को हर वर्ष जन्म दिन आने पर जन्म दिन के 28 दिन के अंदर जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस नक्षत्र में हो, वही दिन वार आने पर नक्षत्र दोष शांति पूजा पंडित जी से कह कर करवानी चाहिए.


सूर्यदोष
ज्योतिष अनुसार यदि जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति शनि के नक्षत्र(पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद) या फिर राहु के नक्षत्र(आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा) में हो, तो ऐसी जन्मकुंडली में सूर्य का दोष कहा जाता है.  इस दोष की वजह से जातक के पिता को स्वास्थ्य कष्ट, माता को आर्थिक कष्ट और ताऊ के परिवार में भी गंभीर कष्ट आते हैं. ऐसी ग्रह स्थिति को एक तरह से जातक की जन्म कुंडली में खराब सूर्य ही कहा जाता है. जिसके अन्य लक्ष्ण भी जैसे कि जातक के जीवन में प्रतिष्ठा की कमी, अधिकारी वर्ग के लोगो की नाराजगी, अचानक से नौकरी, व्यापार बंद होने की समस्या आती है.


उपाय
इस दोष के लिए शांति उपचार की बात करें, तो ऐसे जातक को हर वर्ष जन्म दिन आने पर जन्म दिन के 28 दिन के अंदर जन्म कुंडली में सूर्य जिस नक्षत्र में हो, वही दिन वार आने पर नक्षत्र दोष शांति पूजा पंडित जी से कह कर करवानी चाहिए.


मांगलिक दोष
जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है. अतः जातक मंगल व्रत. मंगल मंत्र का जप, घट विवाह आदि करें. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कुछ विशेष ग्रह दोषों के प्रभाव से वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है.


उपाय
ऐसे में उन ग्रहों के उचित ज्योतिषीय उपचार के साथ ही मां पार्वती को प्रतिदिन सिंदूर अर्पित करना चाहिए. सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. जो भी व्यक्ति नियमित रूप से देवी मां की पूजा करता है उसके जीवन में कभी भी पारिवारिक क्लेश, झगड़े, मानसिक तनाव की स्थिति निर्मित नहीं होती है.


चांडाल दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांडाल योग तब निर्मित होता है. जब किसी राशि या भाव में बृहस्पति और राहु एक साथ स्थित है. या कुंडली में इनका किसी प्रकार से संबंध है. इन दोनों का संयोग चांडाल दोष कहलाता है. यह कुंडली में बहुत कुयोग माना गया है. आर्थिक स्तर पर इसका सबसे नुकसान देखा जाता है. कुंडली में चांडाल दोष बृहस्पति को प्रभावित करता है.


बृहस्पति से संबंधित सभी कार्यों में विघ्न, नुकसान देखा जाता है. शैक्षिक और सम्मानित स्तर पर आजीविका का माध्यम बृहस्पति ही तैयार करता है. इस दोष के कारण सफलता की सीढ़ी चढ़कर भी लक्ष्य से महज एक कदम की दूरी से आपको पुनः जीरो पर ला देगा.


उपाय
चांडाल दोष के निवारण के लिए ब्राह्मणों का सम्मान करना चाहिए. बृहस्पतिवार के दिन केले का वृक्ष लगाएं. भगवान विष्णु की पूजा करें और पीला चंदन अर्पित करना चाहिए.


काल सर्प दोष
जब कुंडली में राहु और केतु एक तरफ मौजूद होते हैं और बाकी सभी ग्रह इनके बीच में हों स्थित हों तब कालसर्प योग या दोष बनता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष लगने की वजह राहु-केतु हैं. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह चारों ओर से ग्रहों को घेर कर बैठ जाते हैं, उसे मानसिक अशांति, रोग, दोष, जादू-टोना और हड्डियों के रोगों को झेलना पड़ता है. इन लोगों को सफलता पाने में देरी लगती है.


काल सर्प योग 12 प्रकार के होते हैं जिनका अलग-अलग प्रभाव होता है. कई लोगों के जीवन में इस योग की वजह से अशांति मची रहती है. ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष लग जाता है उसे सफलता बहुत देरी से मिलती है. ऐसे व्यक्ति को हर काम में बाधा का सामना करना पड़ता है. कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति जैसे ही सफलता को अपनी ओर आते देखता है वैसे ही सफलता उससे दूर होनी शुरू हो जाती है.


उपाय
काल सर्पदोष का सबसे सरल माध्यम है कि आप नित्य शिवलिंग की पूजा करें. सोमवार को सफेद वस्त्र धारण करें. शिवलिंग पर कच्चा दूध और तिल अर्पित करें.


अंगारक दोष
ज्योतिष अनुसार यदि जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति शनि के नक्षत्र(पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद) या फिर राहू के नक्षत्र(आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा ) में हो, तो ऐसी जन्म कुंडली में अंगारक का दोष कहा जाता है. इस दोष की वजह से पिता पुत्र में विवाद, जातक को खुद को पुत्र प्राप्ति में बाधा, भाई को आर्थिक कष्ट और चाचा को गंभीर कष्ट आते हैं.  ऐसी ग्रह स्थिति को एक तरह से जातक की जन्म कुंडली में खराब मंगल ही कहा जाता है. जिसके अन्य लक्ष्ण भी जैसे कि जातक के जीवन में कर्ज, रोग और शत्रु बाधा जीवन में चोट, चोरी और दुर्घटना का भय, पत्नी से विवाद की समस्या आती है.


उपाय
इस दोष के लिए शांति उपचार की बात करें, तो ऐसे जातक को हर वर्ष जन्म दिन आने पर जन्म दिन के 28 दिन के अंदर जन्म कुंडली में मंगल जिस नक्षत्र में हो, वही दिन वार आने पर नक्षत्र दोष शांति पूजा पंडित जी से कह कर करवानी चाहिए


स्त्री दोष
ज्योतिष अनुसार यदि जन्म कुंडली में शुक्र की स्थिति बुध के नक्षत्र(अश्लेशा, जेष्ठा, रेवती) या फिर केतु के नक्षत्र(अश्वनी, मघा, मूल) में हो, तो ऐसी जन्म कुंडली में स्त्री दोष कहा जाता है. इस दोष की वजह से जातक की पत्नी को स्वास्थ्य कष्ट, जातक को आर्थिक कष्ट और जातक की बहन के परिवार में भी गंभीर कष्ट आते हैं.  ऐसी ग्रह स्थिति को एक तरह से जातक की जन्म कुंडली में खराब शुक्र ही कहा जाता है. जिसके अन्य लक्ष्ण भी जैसे कि जातक के जीवन में धन और वैभव की कमी, पत्नी सुख की कमी, नौकरी, व्यापार में पैसा अटकने की समस्या आती है.


उपाय
इस दोष से शांति पाने के लिए शुक्र ग्रह से सबंधित उपाय करने चाहिए. माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें.

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