नई दिल्लीः Kundali: जीवन में कई लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं, लेकिन कुछ सफल हो जाते हैं तो कुछ के प्रेम विवाह में बाधाएं आ जाती हैं. ऐसे में जानिए कुंडली में प्रेम विवाह का योग कब बनता है? आचार्य विक्रमादित्य दे रहे हैं इसका जवाब:
कुंडली में सप्तम स्थान होता है विवाह का
कटिहार से मनीष कुमार पूछते हैं कि प्रेम विवाह का योग कुंडली में कब बनता है. इस पर आचार्य विक्रमादित्य बताते हैं कि जन्म कुंडली का सप्तम स्थान विवाह स्थान होता है, जब सप्तम या सप्तमेष का संबंध 3, 5, 9, 11 और 12वें भाव के मालिक के साथ बनता है, तब जातक प्रेम विवाह करता है.
इन संबंधों में दृष्टी युति के अतिरिक्त त्रिकोण तथा केंद्र संबंधों को भी महत्वपूर्ण माना जाता है. सप्तमेश यदि पंचम स्थान के मालिक के साथ 3, 5, 7, 11 और 12वें भाव में स्थित हो तो जातक प्रेम विवाह अवश्य करता है. पंचम स्थान प्रेम संबंध तथा मित्रों का माना जाता है. ऐसे में सप्तमेष का संबंध पंचमेश से हो जाए तो व्यक्ति के प्रेम विवाह करने के योग बनते हैं.
भूख नहीं लग रही है तो करें इस मुद्रा का अभ्यास
इसी तरह भिवानी से सूरज पाल पूछते हैं कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से भूख नहीं लग रही है. बहुत बेचैनी भी हो रही है. क्या करें. कोई उपाय बतायें? इस पर आचार्य बताते हैं कि आप नियमित तौर पर सूर्य मुद्रा का अभ्यास करें. इससे आपको लाभ होगा.
निरंतर इसके आपके अभ्यास से आपके शरीर पर आश्चर्यजनक प्रभाव दिखेंगे. आपको भूख लगनी शुरू हो जायेगी. मानसिक शांति भी मिलेगी. आप सूर्य मुद्रा का अभ्यास करके देखिए.
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