नई दिल्लीः Kurma Jayanti 2022: आज कूर्म जयंती है. भगवान विष्णु के कूर्म अवतार रूप में कूर्म जयंती का पर्व मनाया जाता है. कूर्म जयंती वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कच्छप (कछुआ) अवतार लेकर प्रकट हुए थे. साथ ही समुद्र मंथन के वक्त अपनी पीठ पर मंदरांचल पर्वत को उठाकर रखा था.


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त्योहार - कूर्म जयंती, सत्य व्रत, कदली व्रत


सृष्टि के पालनहार हैं भगवान विष्णु
भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालनहार हैं. उनके ऊपर ही इस सृष्टि के सभी जीवों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है. धन की देवी मां लक्ष्मी उनकी अर्धांगिनी हैं.


भगवद् गीता में वर्णित है कि जब-जब धरती पर पाप की अधिकता होगी तब-तब पाप के नाश के लिए धरती पर प्रभु अवतार लेंगे. भगवान विष्णु के दशावतार माने जाते हैं. भगवान विष्णु के हर अवतार का अपना विशेष महत्व है. इन्हीं अवतारों में भगवान विष्णु का एक अवतार कूर्म का भी था यानी कछुए का अवतार.


कूर्म अवतार ने समुद्र मंथन में की थी मदद
पौराणिक ग्रंथों में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के बारे में बहुत सारी कथाएं आती हैं, जिनमें सबसे अधिक महत्व विष्णु पुराण में आई कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी. कूर्म अवतार को ‘कच्छप अवतार’ भी कहते हैं. कच्छप अवतार में श्री हरि ने क्षीरसागर के समुद्र मंथन में मंदार पर्वत को अपने कवच पर रखकर संभाला था. कहते हैं कि इसी समुद्र मंथन में भगवान विष्णु, मंदार पर्वत और वासुकी सांप की मदद से देवताओं और राक्षसों ने चौदह रत्न पाए थे.


ये है कूर्म अवतार की धार्मिक कथा
कथाओं के अनुसार- एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया. इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा. तब भगवान विष्णु के कहे अनुसार इंद्र दैत्य व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए. समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को नेती बनाया गया. देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके.


तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया. देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया. परंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा. यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए और भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा.


इस तरह सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अर्थात कच्छप का अवतार लिया.


भगवान श्री विष्णु के दस अवतारों में कूर्म अवतार दूसरा अवतार है. समुद्र मंथन में श्री विष्णु के इस अवतार की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. कूर्म जयंती में हम सब श्री विष्णु के इस अवतार की पूजा आराधना करते हैं. इस दिन श्री विष्णु की पूजा करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है.


कूर्म जयंती पर ये उपाय करने से होगा विशेष लाभ
- कूर्म जयंती पर नया मकान या कुछ अन्य निर्माण करा रहे हैं तो चांदी का कछुआ डालने से घर के लोगों की तरक्की व ऐश्वर्य बढ़ता है और वास्तु दोष समाप्त हो जाता है. बच्चों की पढ़ाई के लिए मिट्टी का कछुआ उनके कमरे में स्थापित करें. लोग अपने सोने के कमरे में धातु का कूर्म (कछुआ) रखकर मानसिक शांति व अच्छी नींद पा सकते हैं.


- कूर्म जयंती पर रसोई घर में कछुए की स्थापना करें, इससे रसोई घर में बनने वाली कोई भी वस्तु रोगमुक्त रहेगी. इसके अलावा घर की छत पर कूर्म की स्थापना करने से शत्रुओं का नाश होता है. यदि आप किराए के मकान में रह रहे हैं, तो अपने मकान के लिए भगवान कूर्म की पूजा करेंगे तो विष्णु जी की जरूर कृपा बरसेगी.


- यदि कमरा, रसोई, खिड़की आदि सही दिशा में नहीं है तो उन्हें तोड़ने की बजाय कछुए का निशान लाल चंदन, कुमकुम व केसर को मिलाकर बनाएं, जिसका मुंह नीचे और पिछला हिस्सा आकाश की ओर हो. यह प्रयोग कूर्म जयंती पर शाम को करें और इसकी पूजा करें, तो इन स्थानों के वास्तु दोष दूर होते हैं.


वेद और पुराणों में कूर्म अवतार
- लिंग पुराण के अनुसार पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था. 
- नृसिंह पुराण और भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार है.
- शतपथ ब्राह्मण, महाभारत और पद्मपुराण में कहा गया है कि संतति प्रजनन हेतु प्रजापति, कच्छप का रूप धारण कर पानी में संचरण करता है.


- लिंग पुराण के अनुसार पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छप रूप में अवतार लिया.
- पद्मपुराण में बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान जब मंदराचल पर्वत रसातल में जाने लगा तो भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लिया और उसे अपनी पीठ पर संभाला.


- वहीं कूर्म पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार इसलिए लिए था ताकि साधु-संतों को जीवन के चार लक्ष्यों यानी धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष का ज्ञान दे सकें.
- नृसिंह और भागवत पुराण में कूर्म अवतार को भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार बताया गया है जबकि कई जगहों पर इसे भगवान विष्णु का दूसरा या तीसरा अवतार होने की भी बात सामने आती है.


आज का पंचांग
वैशाख - शुक्ल पक्ष - चतुर्दशी तिथि - रविवार
नक्षत्र - स्वाति नक्षत्र 
महत्वपूर्ण योग - व्यातिपात योग 
चन्द्रमा का तुला राशि पर संचरण


आज का शुभ मुहूर्त - सूर्योदय से रवि योग है 15.34 बजे तक
राहु काल - 05.18 बजे से 06.57 बजे तक


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज सूर्यास्त से पहले एक मिट्टी की वेदी बनाकर उसपर स्वास्तिक का निर्माण करें. फिर उस पर मूल और पत्तों सहित एक केले का पेड़ स्थापित करें और उसका रोपण कर गंध दीप आदि से पूजन करें. उस समय एक मनोकामना का स्मरण अवश्य करें.


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