नई दिल्ली. Lalita Panchami Vrat: आज नवरात्रि का पांचवा दिन है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. साथ ही इस दिन ललिता पंचमी का व्रत भी रखा जाता है. इसमें देवी सती के रूप मां ललिता की आराधना की जाती है. देवी ललिता मां की दस महाविद्याओं में से एक हैं. इन्हें त्रिपुरा सुंदरी और षोडसी के नाम से भी जाना जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ललिता पंचमी का व्रत रखने से जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को मां ललिता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 30 सितंबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से अगले दिन 1 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 19 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग है.
ललिता पंचमी कथा
पिता दक्ष द्वारा भोलेनाथ का अपमान सहन न कर पाने पर देवी सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे. इसके बाद भगवान शिव उनकी देह को उठाए भ्रमण कर रहे थे. चारों ओर हाहाकार मच गया था. भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को विभाजित कर दिया था. तब भगवान शंकर ने उन्हें अपने हृदय में धारण किया, इसलिए ये ललिता कहलाईं.
ललिता पंचमी व्रत महत्व
ललिता पंचमी का व्रत करने से सारे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. ललिता पंचमी व्रत के प्रभाव से भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं. ललिता पंचमी व्रत के दिन ललितासहस्त्रनाम या फिर ललितात्रिशती का पाठ करना उत्तम होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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