नई दिल्लीः Daksha Mahadev Mandir : सावन मास की शुरुआत हो चुकी है और इसी के साथ भगवान भोलेनाथ के भक्त उनकी भक्ति में रमने लगे हैं. भारत देश में प्रचलित है कि कंकर-कंकर शिव. यानी कि पत्थर का हर एक कण अपने आप में महादेव का स्वरूप है. ऐसे में देश भर में शिवालयों की संख्या सर्वाधिक है. 


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सावन में परंपरा रही है कि श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल भरकर लाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. ऐसे में उत्तराखंड की यह भूमि महादेव के भक्तों के लिए पावन और महत्वपूर्ण हैं. यहां कई ऐसे शिव मंदिर हैं जो साक्षात महादेव की गाथाओं के साक्षी हैं. 


बिल्केश्वर महादेव मंदिर, हरिद्वार
बिल्केश्वर महादेव मंदिर (Bilkeshwar Mahadev Temple) बिल्व पर्वत पर स्थित है. कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव (Lord Shiva) को पाया था. यहां बिल्केश्वर महादेव (Bilkeshwar Mahadev) लिंग रूप में विराजमान हैं.



मान्यताओं के अनुसार, यहां पर आने वाले भक्तों की भगवान शिव मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. सावन व शिवरात्रि के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है.


गौरी-शंकर महादेव मंदिर, हरिद्वार
हरिद्वार की ही पावन भूमि में स्थित है गौरी-शंकर महादेव मंदिर (Gauri Shankar Mahadev Temple). यह हरिद्वार (Haridwar) के धार्मिक स्थलों में से एक है. इस मंदिर का गुणगान शिव पुराण में भी किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान महादेव दक्ष प्रजापति मंदिर में माता सती से विवाह के पश्चात यहां पहुंचे थे.



मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में महादेव और माता सती के दर्शन मात्र से ही भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.


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दक्ष महादेव मंदिर, हरिद्वार
यह प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भी हरिद्वार में है. दक्ष महादेव मंदिर (Daksha Mahadev Mandir) भगवान शिव (Lord Shiva) के क्रोध और करुणा के मिश्रित भाव से आए दुख के लिए समर्पित है. यह मंदिर हरिद्वार का प्राचीन धार्मिक स्थल है. इस मंदिर को दक्ष प्रजापति मंदिर भी कहते हैं.



इस मंदिर में महादेव के पैरों के चिन्ह बने हुए है. इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से श्रदालु आते हैं. दक्ष महादेव मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा भी है. ऐसी मान्यता है कि इसी गड्ढे में देवी सती ने अपने जीवन का त्याग किया था. यह मंदिर महादेव के जीवन में घटी सबसे बड़ी घटना का साक्षी है.


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