Navratri 2022: हजारों वर्ष तक फल खाकर मां ब्रह्मचारिणी ने की कठोर तपस्या, जानिए व्रत कथा
Navratri 2022 2nd Day: ब्रह्मचारिणी यानि ब्रह्मचर्य का पालन कराने वाली. माता का यह स्वरूप तपस्वी का है. यहां ब्रह्मचर्य का अर्थ विवाह से नहीं बल्कि तप से है.
नई दिल्ली. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था. तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी. इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया.
कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने एक हज़ार वर्ष तक केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे. इस कठिन तपस्या के पश्चात मां ने जमीन पर टूटकर गिरे हुए बेलपत्रों को खाकर भगवान शिव की आराधना की.
मां का नाम पड़ 'उमा'
कई हजार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा, उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी 'उ मा'. तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया.
तीनों लोको में मचा हाहाकार
उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे. अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-श्हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की हैं। तुम्हारे इस आलोकक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं. तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी. भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे. अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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