नई दिल्ली: Rudraksha Rules: भगवान भोलेनाथ को रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, उनके ऊपर शिवजी की विशेष कृपा रहती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक रुद्राक्ष पाए जाते हैं. इसे धारण करने से हर तरह के संकटों का नाश होता है और ग्रहों की अशुभता से मुक्ति मिल जाती है. रुद्राक्ष की महिमा अपार है लेकिन इसे धारण करने के कुछ नियम हैं. आइए जानते हैं. 


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1. धारण करने का समय


रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष की तिथि, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी के दिन धारण करना शुभ माना जाता है. सुबह स्नान करने के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान शिव का ध्यान करते हुए रुद्राक्ष पहनना चाहिए.


2. धारण करने की विधि
रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे में धारण करना चाहिए. धारण करते समय ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. इसका हमेशा अपने गले में या हाथ में धारण करना चाहिए.


3. रुद्राक्ष की देखभाल
रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखना चाहिए. इसको को स्नान करते समय, शयन करते समय, और शारीरिक क्रिया करते समय उतार देना चाहिए. रुद्राक्ष को साबुन, और डिटर्जेंट से दूर रखना चाहिए.


4. अन्य नियम
रुद्राक्ष को हमेशा सम्मान के साथ धारण करना चाहिए. मांस, मदिरा, और अन्य नशीले चीजों से दूर रखना चाहिए. सोने के लिए ब‍िस्‍तर पर जाने से पहले भी रुद्राक्ष उतार देना चाहिए. सोते वक्‍त हमारा शरीर अशुद्ध माना जाता है. भूलकर किसी बच्‍चे के जन्‍म पर रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए. सनातन धर्म की मान्‍यता के अनुसार. जहां पर बच्‍चे का जन्‍म होता है वहां पर सूतक मान्‍य होते हैं, इसलिए रुद्राक्ष पहनकर न जाएं.


5. रुद्राक्ष की शक्ति
रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. इसको पहनने से मन को शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. इससे ग्रहों की दशा में सुधार होता है और जीवन में सफलता मिलती है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)