नई दिल्लीः Shami Tree: हिन्दू ग्रंथों में पेड़-पौधे भी पूज्य माने गए हैं क्योंकि इन पेड़ों में देवताओं का वास माना जाता है. पीपल में भगवान विष्णु, शिव समेत सभी देवता, केला, आंवला और तुलसी में भगवान विष्णु, बेल, बरगद और शमी में भगवान शिव का वास माना जाता है. वहीं, कमल में साक्षात् माता लक्ष्मी का वास होता है. यदि आप शमी के पेड़ की पूजा करते हैं तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, वहीं शनिदेव और श्री गणेश की भी कृपा प्राप्त होती है.


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शमी वृक्ष को लेकर पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है. लंका पर विजयी पाने के बाद श्रीराम ने शमी पूजन किया था. नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है.  विजयदशमी को शमी की विशेष पूजा की जाती है 


धार्मिक, आध्यात्मिक और वास्तु के नजरिये से भी शमी वृक्ष की पूजा करने के कई लाभ हैं. तो आइये जानते हैं शमी वृक्ष की विशेषताएं -


घर में सुख-समृद्धि आती है
ऐसी मान्यता है कि घर में शमी का पेड़ लगाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही शनि के कोप से भी बचा जा सकता है.


ईशान कोण में लगाये शमी का वृक्ष
शमी का वृक्ष घर के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में लगाना लाभकारी माना गया है. इसमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व पाया जाता है.


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शनि के प्रकोप से बचाता है शमी वृक्ष
न्याय के देवता शनि को खुश करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक है शमी के पेड़ की पूजा. शनिदेव की टेढ़ी नजर से बचने के लिए शमी की पूजा करना चाहिए. यह एक रक्षा कवच के रूप में देखा जाता है. शमी के छोटे पौधे को आप घर में गमले में भी लगाकर पूजा करके भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.


तंत्र-मंत्र एवं बाधा मुक्ति
शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है. सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की लकड़ियों का प्रयोग शुभ माना गया है. शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र एवं बाधा एवं नकारात्मक शक्तियों को रोकने के लिए किया जाता है.


जहां पीपल उपलब्ध नहीं वहां शमी की पूजा कीजिए  
पीपल और शमी दो ऐसे वृक्ष हैं, जिन पर शनि का प्रभाव होता है. पीपल का वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे घर में लगाना संभव नहीं होता. वास्तु शास्त्र के मुताबिक नियमित रूप से शमी वृक्ष की पूजा की करने एवं इस वृक्ष के नीचे सरसो या तिल के तेल का दीपक जलाने से शनि का दोष भी खत्म हो जाता है.  
आयुर्वेद के नजरिए से भी गुणकारी
शमी को वह्निवृक्ष भी कहा जाता है. आयुर्वेद की दृष्टि में तो शमी अत्यंत गुणकारी औषधि मानी गई है. कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम आते हैं.  इसके पत्ते, जड़ें टहनियां भी आयुर्वेद में कई औषधि के रूप में की जाती है


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