अष्ट सिद्धि क्या है जो हनुमानजी को थी प्राप्त, इन्हें पा लेने से मिलती हैं ये चमत्कारिक शक्तियां
Ashta Siddhi: कहते हैं कि जब कोई अपने कष्टों से मुक्ति की कामना लेकर हनुमान जी की शरण में जाते हैं, वे माता सीता के आशीर्वाद से ही उनके सारे दुख दर्द दूर कर देते हैं.
नई दिल्लीः Ashta Siddhi माता सीता ने महाबली हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नव निधि की प्राप्ति का वरदान दिया था. हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं, अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता. अस-बर दीन्ह जानकी माता... कहते हैं कि जब कोई अपने कष्टों से मुक्ति की कामना लेकर हनुमान जी की शरण में जाते हैं, वे माता सीता के आशीर्वाद से ही उनके सारे दुख दर्द दूर कर देते हैं.
जानिए हनुमान जी की अष्ट सिद्धिया कौनसी हैं
1. अणिमा सिद्धि
यह ऐसी सिद्धि है, जिससे व्यक्ति सूक्ष्म (बहुत छोटा) रूप धारण कर सकता है. इसी सिद्धि से हनुमान जी ने मां सीता को अपना सूक्ष्म रूप दिखाया था. हनुमान चालीसा के दोहे में भी इसका उल्लेख है, सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा.
2. महिमा सिद्धि
अणिमा के विपरीत इस सिद्धि से विशाल रूप धारण किया जा सकता है. इतना बड़ा कि सारे जगत को ढक ले. जैसे श्री कृष्ण का विराट स्वरूप.
3. गरिमा सिद्धि
इस सिद्धि से शरीर को जितना चाहे भारी बनाया जा सकता है. इस सिद्धि से ही हनुमान जी ने अपनी पूंछ को इतना भारी बना दिया था कि भीम उसे हिला भी नहीं सके.
4. लघिमा सिद्धि
गरिमा के विपरीत इस सिद्धि से अपने आप को इच्छानुरूप हल्का बनाया जा सकता है. इतना हल्का जैसे रूई का फाहा. फिर इस रूप में वह गगनचारी बन कहीं भी क्षणांश में आ-जा सकता है.
5. प्राप्ति सिद्धि
यह सिद्धि अपनी इच्छित वस्तु की प्राप्ति में सहायक होती है. जानवरों, पक्षियों और अनजान भाषा को भी समझा सकता है, भविष्य को देखा जा सकता है तथा किसी भी कष्ट को दूर करने की क्षमता पाई जा सकती है. अपनी इस सिद्धि के कारण हनुमान जी परम संतोषी हुए. उन्होंने भगवान राम के द्वारा दिए मोतियों को भी कंकड़ के समान माना और राम की भक्ति में लीन रहे.
6. प्राकाम्य सिद्धि
इसकी उपलब्धि से इसका धारक इच्छानुसार पृथ्वी में समा और आकाश में उड़ सकता है. चाहे जितनी देर पानी में रह सकता है. इच्छानुरूप देह धारण कर सकता है तथा किसी भी शरीर में प्रविष्ट होने की क्षमता व चिरयुवा रहने की सिद्धि प्राप्त कर लेता है.
7. ईशित्व सिद्धि
इस सिद्धि से व्यक्ति में ईश्वरत्व का वास हो जाता है. व्यक्ति में ईश्वर की शक्ति आ जाती है और वह पूजनीय हो जाता है. इसी सिद्धि के कारण हनुमान जन-जन के पूजनीय हैं.
8. वशित्व सिद्धि
यह आठवीं और अंतिम सिद्धि है. इस सिद्धि को प्राप्त करके किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. भयानक जंगली पशु-पक्षियों, इंसानों किसी को भी अपने वश में कर अपनी इच्छानुसार व्यवहार करवाने की शक्ति हासिल हो जाती है. हनुमान जी ने अपनी इस सिद्धि से मन, वचन काम, क्रोध, आवेश, राग-अनुराग वश में कर लिया था. इन्हीं सिद्धियों ने हनुमान जी को महावीर बनाया.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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