नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो गई है. 10 दिनों के गणेश उत्सव में लो बप्पा की पूजा करते हैं. गणेश जी की पूजा में कुछ पत्तियां और फल वर्जित माने जाते हैं.  तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय है, इतनी प्रिय हैं कि उनके शालिग्राम अवतार से तुलसी का विवाह हुआ था. वहीं भगवान गणेश को तुलसी बिल्कुल भी प्रिय नहीं है. भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी गणपति पूजा में  वर्जित है. आइए जानते हैं इसके पीछे का क्या कारण है. 


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पूजा में तुलसी का न करें उपयोग 
गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए. गणेश जी को दूर्वा बेहद प्रिय है ऐसे में आप गणेश जी की पूजा के दौरान दूर्वा जरूर चढ़ाएं. 


क्या है कारण 
माना जाता है कि देवी तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया था जिस वजह से उनकी पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता है. गणेश पुराण के अनुसार गणेश जी ध्यान कर रहे हैं देवी तुलसी ने उनका ध्यान भंग कर दिया था, देवी तुलसी गणेश जी से विवाह करना चाहती थी लेकिन गणेश जी ने उन्हें तप भंग करने को अशुभ बताते हुए उनके विवाह के प्रस्ताव को मना कर दिया था.  इस बात से क्रोधिक होकर तुलसी ने गणेश जी को दो पत्नियों का श्राप दिया था. 


गणेश भगवान ने भी दिया श्राप 
तुलसी ने जब भगवान गणेश को श्राप दिया तो इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा. एक राक्षस की पत्नी होने का श्राप सुन तुलसी ने गणेश भगवान से माफी मांगी. गणेश भगवान ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूड़ नाम के राक्षस से होगा. लेकिन तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रिय होने के साथ-साथ कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी. लेकिन मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना अशुभ होगा.  


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें. 


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