नई दिल्ली: पूरा देश अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्रतीक्षा कर रहा है. लेकिन राहुल गांधी के करीबी एक शख्स ने भूमि पूजन के विरोध में याचिका दाखिल की, लेकिन उन्हें इस मामले में तगड़ा झटका लगा है. साकेत गोखले नाम के शख्स ने राम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाली भूमि पूजन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है.


राम मंदिर के विरोधियों को एक और झटका


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राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने साकेत गोखले की याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा याचिका का आधार काल्पनिक है.


इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिका में उठाए गए बिंदु सिर्फ कल्पनाओं के सहारे है. जो आशंकाएं जताई गईं हैं, वह आधारहीन हैं.


हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद भूमि पूजन का रास्ता साफ हो गया है. चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की.


मंदिर निर्माण ट्रस्ट और सरकार को भी निर्देश


भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है तो वहीं हाईकोर्ट ने मंदिर निर्माण ट्रस्ट और यूपी सरकार को भूमि पूजन कार्यक्रम में कोविड गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया है.


याचिका में क्या-क्या दलीलें दी गई थी?


दिल्ली के पत्रकार व सोशल एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने हाईकोर्ट में लेटर पीआईएल दाखिल की थी. पीआईएल में कहा गया था कि भूमि पूजन कोविड-19  के अनलॉक-2  की गाइडलाइन का उल्लंघन है. कहा गया था कि भूमि पूजन में तीन सौ लोग इकट्ठे होंगे, जो कि  कोविड के नियमों के खिलाफ होगा. लेटर पिटीशन के जरिये भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी.


पिटीशन में यह भी कहा गया था  कि यूपी सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती. पिटीशन में यह भी कहा गया था कि कोरोना में भीड़ इकठ्ठा होने की वजह से ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है. चीफ जस्टिस से लेटर पिटीशन को पीआईएल के तौर पर मंजूर करते हुए सुनवाई कर कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी.


राहुल गांधी का करीबी साकेत गोखले को अदालत ने ये समझा दिया है कि उसका विरोध बिल्कुल ही निराधार है. ये सिर्फ साकेत गोखले को ही नहीं बल्कि राहुल गांधी और पूरे कांग्रेस पार्टी के लिए तगड़ा झटका है. विरोध का सारा एजेंडा साफ हो गया.


बेतुकी भाषा कांग्रेस और उसके प्रेमियों का चरित्र


राहुल गांधी के करीबी साकेत गोखले ने मंदिर निर्माण के विरोध में कुतर्क दिए थे. यहां तक कि उसने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल भी किया था.


विरोध अपनी जगह है लेकिन साकेत गोखले ने भाषा की मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए. इस तरह की आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करना किसी व्यक्ति की सोच और उसके मानसिक स्तर को दर्शाता है. जिसका नतीजा सामने आ चुका है. साकेत और राम मंदिर का विरोध करने वाले कांग्रेसियों को तगड़ा झटका लगा है.


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साकेत की करतूत के लिए अदालत ने होश ठिकाने लाने वाला फैसला लिया है. लेकिन सवाल अब भी वही है. क्योंकि राम मंदिर का विरोध कुछ तथाकथित ठेकेदारों की राजनीति का हिस्सा बन चुका है.


सवाल नंबर 1. कांग्रेस के इशारे पर भूमि पूजन का विरोध?


सवाल नंबर 2. भूमि पूजन के खिलाफ कांग्रेस की याचिका?


सवाल नंबर 3. याचिकाकर्ता साकेत गोखले से रिश्ते का सच बताएंगे राहुल?


सवाल नंबर 4. राहुल गांधी ने लिखी भूमि पूजन के विरोध की पटकथा?


सवाल नंबर 5. राम मंदिर पर एक हिंदू-मुसलमान तो कांग्रेस क्यों परेशान?


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