नई दिल्लीः कोरोना से बचाव इसका इलाज है और पूरी दुनिया इलाज न खोजे जाने तक इसी नियम का पालन कर रही है. सुप्रीम कोर्ट भी अपने मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रहा है. काम का माहौल और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कोर्ट की ओर से औपचारिक अधिसूचना जारी की गई है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लंबे गाउन और कोट पहनने पर रोक लगाई है. 


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CJI ने कहा, इन परिधानों से खतरा


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक औपचारिक अधिसूचना के माध्यम से वकीलों से कहा है कि वे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अगले आदेश तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कोट और लंबे गाउन न पहनें. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि ये परिधान नहीं पहनने चाहिए क्योंकि ये आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं.


यह है जारी अधिसूचना


शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल एस कालगांवकर द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, मेडिकल परामर्श को ध्यान में रखते हुए सभी को सूचित किया जाता है कि मौजूदा हालात में कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के एहतियाती उपाय के रूप में सक्षम प्राधिकारी ने निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सफेद बैंड के साथ सादी सफेद पैंट/सफेद सलवार-कमीज/साड़ी पहन सकते हैं.


25 मार्च से जारी है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई
शीर्ष अदालत 25 मार्च से कोरोना के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रही है और उसने अगले आदेश तक के लिए प्रॉक्सिमिटी कार्ड के माध्यम से वकीलों और न्यायालय के स्टाफ का प्रवेश भी निलंबित कर रखा है.



शीर्ष अदालत की वेबसाइट के साथ ही यह अधिसूचना अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन और उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन के सचिवों के साथ साझा की जा रही है.


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रोज नहीं धोया जा सकता कोट
इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय स्टाफ को 24 अप्रैल को ही कोट पहनने से मना कर दिया गया था. दरअसल कोट ऐसा परिधान है जिसे रोज नहीं धोया जा सकता. इस पर अगर वायरस आ गया तो यह काफी लोगों को संक्रमित कर सकता है. प्रधान न्यायाधीश के इस कथन का तत्काल असर देखने को मिला और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कई वकील बगैर कोट और गाउन के पेश हुए.


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